इस समय मजदूर और किसान दोनों संकट में हैं। अगर मनरेगा को कृषि क्षेत्र से जोड़ दिया जाए तो दोनों की समस्या एक साथ हल हो जाएगी। मजदूर को ज्यादा रोजगार और पैसा मिलेगा और कृषि क्षेत्र में लागत कम हो जाएगी। इससे कृषि पैदावार में बढ़ोत्तरी होगी और किसानों को कम मजदूरी पर कृषि कार्यों के लिए गांव में ही मजदूर मिल सकेंगे। करनाल में किसानों की प्रशासन से यहीं मांग है।
बहादुर सिंह मेहला, प्रदेश प्रवक्ता, सरछोटू राम भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि किसानों को प्रमाणिक बीज की उपलब्धता करवाई जाए तो इससे कृषि की पैदावार के साथ-साथ गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। बशर्ते बीज की प्रमाणिकता की जांच समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों द्वारा की जाए। यदि किसानों को डीएपी सहकारी समिति के माध्यम से 75 प्रतिशत तक मुहैया करवाया जाए तो भी देश का किसान खुशहाल होगा। डीएपी के साथ अतिरिक्त दवाई न दी जाए, किसानों को बिजली की आपूर्ति दिन के समय ही 12 घंटे की जाए।
मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए काफी है। इस तरह, मनरेगा को कृषि क्षेत्र से जोड़ने से मजदूरों को नियमित रूप से काम और मजदूरी मिल सकेगी। मनरेगा के तहत होने वाले कामों से कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास होगा। इससे किसानों को खेती करने में आसानी होगी और उनकी उपज बढ़ेगी। कुल मिलाकर, मनरेगा को कृषि क्षेत्र से जोड़ने से मजदूरों और किसानों दोनों को लाभ मिलेगा। यह कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा।
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