काले आलू की जैविक खेती करके किसान सामान्य रूप से बोए जाने वाले सफेद आलू की तुलना में काला आलू से तीन से चार गुना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। काले आलू की जैविक खेती की विधि सामान्य आलू की खेती के समान ही है। इसके लिए दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी का उपयोग करना सर्वोत्तम होता है। सफेद आलू मधुमेह के रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है, जबकि काला आलू मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। बाजार में काले आलू की कीमत आमतौर पर 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है।
इसके बीज भी लगभग इसी दर पर उपलब्ध होते हैं। आपने जो आलू लगाए हैं, काले आलू, उन्हें आम आलू की तरह ही उपचारित किया जाता है, या कोई अन्य प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें कोई विशेष प्रक्रिया शामिल नहीं है, बात सिर्फ इतनी है कि इस फसल को आम आलू की तुलना में बढ़ने में थोड़ा अधिक समय लगता है और इसकी पत्तियों पर धारियां होती हैं जो काले रंग की होती हैं। यह आलू आयरन की प्रचुर मात्रा के लिए प्रसिद्ध है, जो एनीमिया या गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है और यह शुगर फ्री है।
इसकी पैदावार आम आलू की तुलना में काफी ज्यादा हो सकती है और अगर इस पर ध्यान दिया जाए तो इससे अच्छी पैदावार मिल सकती है।काले आलू की जैविक खेती करने पर प्रति एकड़ कुल लागत कितनी होगी यह आपके आलू तैयार होने तक की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा। बारिश के कारण आपके द्वारा बोए गए आलू की तैयारी में थोड़ी देरी हो गई है तो इसकी खुदाई में लगभग 15 से 20 दिन और लग सकते हैं।
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