कृषि क्षेत्र में उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जो वैशिवक जीएचजी उत्सर्जन में योगदान देता है। विश्व खाद्य संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि यदि वर्तमान उत्पादन और उपभोग दर जारी रहती है, तो दुनिया की आबादी के लिए आहार जरूरतों को पूरा करने हेतु वर्ष 2050 तक कृषि क्षेत्र के उत्पादन में 60 प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए। जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के साथ खाद्य सुरक्षा और कृषि विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उत्पादक उत्सर्जन तीव्रता को कम करने की भी आवश्यकता होगी।
कृषि क्षेत्र में जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण के लिए कृषि वानिकी, अतः फसल, फसलचक्र, कवर फसल, पारंपरिक जैविक खाद और एकीकृत फसल-पशु खेती को मॉडल प्रथाओं के रूप में अपनाया जा सकता है। ये प्रथाएं न केवल जलवायु परिवर्तन को कम करती हैं, बल्की कृषि स्थिरता को भी बढ़ाती है। जलवायु स्मार्ट कृषि द्वारा खाद्य सुरक्षा में सुधार, प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग, सभी उत्पादों का अधिक सक्षमता से उपयोग, उनके आउटपुट में कम असंगता और अधिक स्थिरता जैसे सुधार किए जा सकते हैं।
उपयोगी और अधिक लचीली कृषि के लिए जलवायु स्मार्ट कृषि तकनीकों द्वारा भूमि, जल, मृदा के पोषक तत्वों और आनुवंशिक संसाधनों के प्रबंधन के तरीकों में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन के लिए प्रभावी रणनीतियां विकसित करने के लिए स्थानीय लोगों, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं जैसे विभिन्न हितकारकों के बीच सहयोग और समन्वय की तत्काल जरूरत है।
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