आजकल बिहार जैसे प्रदेश में भी ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार केला के पौधे से केला की खेती हो रही है, जहां पर परम्परागत तरीके से केला की खेती प्रकंद द्वारा होती थी । अभी भी बिहार में केला आदर्श ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला बहुत कम है, जबकि अन्य प्रदेशों में जहाँ केला की खेती प्रमुखता से होती है, वहाँ बहुत सारी ऊतक संवर्धन प्रयोगशालायें है ।
लेकिन देश में अभी भी केला उत्पादक किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है की आदर्श ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार केला के पौधे के अन्दर कौन कौन से गुण होने चाहिए इस विषय पर बहुत कम साहित्य उपलब्ध है। जानकारी कम होने की वजह से ऊत्तक संवर्धन द्वारा केला के पौधे तैयार करने वाली प्रयोगशालाये इसका लाभ उठाते हुए प्रथम हार्डेनिंग के बाद से ही पौधे बेचने लगते है जो कत्तई उचित नहीं है।
यदि सही पौधे का चयन नहीं किया गया तो , पौधे मरने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस आलेख में आदर्श ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार केला के पौधे के अन्दर कौन कौन से गुण होने चाहिए दिए गए है यथा ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार केला के पौधे की अच्छी तरह से सख्त (हार्डेनिंग) करने के बाद उसकी ऊंचाई कम से कम 30 सेमी और सख्त होने के 40 से 60 दिनों के बाद आभासी तने की मोटाई (परिधि) कम से कम 5.0 से 6.0 सेमी होनी चाहिए।
पौधों में कम से कम 5 से 6 सक्रिय स्वस्थ पत्ते होने चाहिए और एक पत्ते से दुसरे पत्ते के बीच में अंतर 5.0 सेमी से कम नहीं होना चाहिए। द्वितीयक सख्त अवस्था के अंत में पौधे की लगभग 25 से 30 सक्रिय जड़े होनी चाहिए। सक्रिय जड़ों की लंबाई अच्छी संख्या में माध्यमिक जड़ों के साथ 15 सेमी से अधिक होनी चाहिए। पॉली बैग का आकार (लंबाई में 20.0 सेमी और व्यास में 16 सेमी) होना चाहिए,
जिसमें पोटिंग मीडिया बैग से 3/4 भरा होना चाहिए। मीडिया/पॉटिंग मिश्रण का वजन लगभग 700-800 ग्राम (सूखे वजन के आधार पर) होना चाहिए। पौधे पत्ती धब्बे, आभासी तना सड़न एवं अन्य शारीरिक विकृतियों से मुक्त होना चाहिए।
उत्तक संवर्धन द्वारा तैयार पौधे जीवाणु गलन (इरविनिया नामक जीवाणु ) के लक्षण, सूत्रकृमि घाव और जड़ गांठ जैसे जड़ रोगजनकों की उपस्थिति से पौधे मुक्त होने चाहिए। पौधे खरीदते समय जड़ों की जाँच बहुत आवश्यक है। पौधों में किसी भी प्रकार का कोई भी असामान्य लक्षण या वृद्धि नहीं होना चाहिए।पौधे हमेशा भरोसेमंद प्रयोगशाला से ही खरीदना चाहिए।
PC : डॉ. एसके सिंह प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक(प्लांट पैथोलॉजी) एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर बिहार
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