खीरे की फसल में पोषक तत्वों की कमी विशिष्ट परिस्थितियों एवं मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। हालांकि कुछ प्रमुख पोषक तत्व ऐसे भी है जिनकी खीरे में अक्सर आवश्यकता बनी रहती है और समय समय पर पौधों में उनकी कमी भी देखने को मिलती हैं। इसकी फसल में सबसे आम पोषक तत्व की कमी आमतौर पर मैग्नीशियम, पोटेशियम और बोरोन के रूप में देखने को मिलती है। इन तत्वों की कमी की पहचान फसल मे पड़ने वाले लक्षणों के आधार पर की जा सकती हैं। तो आईए कृषि जागृति के इस पोस्ट में जाने खीरे की फसल मे मैग्नीशियम, पोटेशियम और बोरोन की कमी के लक्षणों की पहचान कैसे की जाती है।
खीरे के पौधों में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण: मैग्नीशियम पौधों के लिए एक आवश्यक खनिज है और इसकी कमी से खीरे के पौधों की पुरानी पतियों में पीलापन हो सकता है। विशेषकर शिराओं के बीच, खीरे में मैग्नीशियम की कमी के अन्य लक्षणों में विकाश का रुकना, फलों का उत्पादन कम होना और पौधों का समग्र रूप से खराब स्वास्थ्य शामिल हैं। खीरे में मैग्नीशियम की कमी की पूर्ति के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खीरे की खड़ी फसल में छिड़काव करें। ध्यान रखें खेत में नमी बना रहें। इसके अलावा आप 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खीरे की खड़ी फसल में संध्या के समय छिड़काव कर सकते हैं।
खीरे के पौधों में पोटेशियम की कमी के लक्षण: खीरे के पौधों के स्वास्थ्य, जल अवशोषण और फलों के विकास के लिए पोटेशियम आवश्यक है। पोटेशियम की कमी वाले खीरे के पौधों में पत्ती के किनारों का पीलापन या भूरापन, पत्तियों का मुड़ना, फलों का आकार काम होना और खराब गुणवता वाले फल दिखाई दे सकते हैं। खीरे की फसल में पोटेशियम की पूर्ति के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी प्रोम एडवांस और एक लीटर जी पोटाश को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खीरे की खड़ी फसल में छिड़काव करें। इसके अलावा आप 150 लीटर पानी में एक लीटर जी पोटाश को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खीरे की खड़ी फसल में संध्या के समय स्प्रे कर सकते हैं।
खीरे के पौधों में बोरोन की कमी के लक्षण: खीरे की नई पत्तियों में हल्का पीलापन विकसित हो जाता है जबकि पुरानी पत्तियां हरी रहती है।इसका कारण पौधों में लौह तत्व की गतिशीलता की कमी होती है। इसके अलावा खीरे के पौधों की पत्तियां, अंकुर, फूल और फल टेढ़े मेढे और पत्तियां पकी हुई या मुड़ी हुई दिखाई दे सकती है। खीरे की खड़ी फसल में बोरोन के ये सभी लक्षण दिखाई देने पर 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर या जी प्रोम एडवांस के साथ एक लीटर जी-डर्मा प्लस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एक खीरे की खड़ी फसल में छिड़काव करें। इसके अलावा आप चाहे तो 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खीरे की खड़ी फसल में संध्या के समय स्प्रे भी कर सकते हैं।
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