रासायनिक खादों के इस्तेमाल से शुरू में फसल बहुत अच्छी आई, मगर बाद में वो परिणाम नहीं मिल पाए। जिससे जमीन में दिन प्रति दिन पोषक तत्व घट रहे। क्यों? तो चलिए इसका उत्तर जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट से। जब शुरू में रासायनिक खादों का इस्तेमाल हुआ, तो पौधों को दो तरफा फायदा हुआ। मिट्टी अभी उपजाऊ थी और पौधों को रासायनिक खाद यानिकि उसे नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश के साथ-साथ वो भी सभी पोषक तत्व भी मिल रहे थे, जो उस मिट्टी से मिलते थे।
इस सब में हम एक बात भूल गए कि हम हर बार जबए-जब मिट्टी से फसल लेते हैं, तो पौधे मिट्टी से पोषक तत्व निकाल लेते थे। लेकिन मिट्टी को वापस उससे पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे थे। क्यों? क्योंकि रासायनिक खादों के प्रचलन के बाद किसानों ने खेतों में जैविक खाद डालनी बंद कर दी थी, और ये प्रक्रिया अभी भी चल रही हैं। अब खेतों को 6 महीने के लिए छोड़ा भी नहीं जाता था इसलिए जमीन में रहने वाले सुक्ष्म जीवाणु, जिनका भोजन जैविक पदार्थ थे, धीरे-धीरे समाप्त होने लगे।
रही-सही कसर विषैले कीटनाशकों ने पूरी कर दी। इन जीवाणुओं के मिट्टी से समाप्त होने से जहां एक ओर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बहुत कम हो गई, वही बहुत सारी दूसरी समस्याओं ने भी जन्म लिया। जो पौधों के स्वस्थ विकास को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, हमें जमीन की उपजाऊता को बढ़ाने के लिए उचित जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए और जमीन की अभावित को दूर करने के लिए उचित उपाय अपनाने चाहिए।
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