हमारे देश में मोटे अनाजों में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती हैं। आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उतर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, एवं झारखंड में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती हैं। मैदानी क्षेत्रों से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों तक इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती हैं। बात करे मक्के में लगने वाले कीटो की तो सैनिक किट यानी फॉल आर्मी वर्क फसल को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचते हैं।
इसके अलावा मक्के की फसल में पत्ती, तना छेदक किट, दीमक, सूत्रकृमि, आदि कीटो का भी ज्यादा प्रकोप होता हैं। इन दिनों मक्के की खेती करने वाले ज्यादातर किसान पति तना छेदक किट के प्रकोप से ज्यादा परेशान हैं। तो आइए कृषि जागृति के इस पोस्ट में पति छेदक किट के प्रकोप का लक्षण एवं इस पर नियंत्रण करने के जैविक तरीके पर विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मक्के की फसल में लगे पति छेदक किट के प्रकोप का लक्षण
यह किट मक्के के तने में छेद कर के तनों को अंदर से खाते हैं।
कुछ समय बाद यह किट मक्के की पत्तियों को भी खाना शुरू कर देते हैं।
प्रकोप बढ़ने पर मक्के की पतियों पर छोटे बड़े आकार के कई छेद नजर आने लगते हैं। जिससे पौधों कमजोर हो जाते हैं।
मक्के के प्रभावित पौधों में फलों का आकार भी छोटा होता हैं। तेज हवाएं चलने पर पौधे टूटकर गिरने लगते हैं।
मक्के की फसल में लगे पति छेदक किट पर नियंत्रण करने के जैविक तरीके
मक्के की फसल में लगे इस कीट पर जैविक नियंत्रण के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय छिड़काव करें।
इसके अलावा 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को भी मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय छिड़काव करें।
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