खीरा की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों में से एक कुकुंबर मोजैक रोग भी शामिल हैं। खीरे की फसल पर तेजी से फैलने वाला यह एक वायरस रोग है। अगर सही समय पर इस रोग को नियंत्रण नहीं किया गया तो केवल 4 से 5 दिनों में ही खीरे की पूरी फसल प्रभावित हो सकती हैं। तो आइए जानते है कृषि जागृति के इस पोस्ट में कुकुंबर मोजैक रोग से होने वाले नुकसान और इस रोग को नियंत्रण करने के लिए जैविक विधि।
खीरे की फसल में लगे कुकुंबर मोजैक रोग के लक्षण
खीरे की फसल में इस रोग के लगने पर पत्तियों में छोटे छोटे पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। फिर कुछ समय बाद पत्तियां सिकुड़ने लगती है।
खीरे के पौधे ऊपर से यानी शिराओं से सिकुड़ने लगते हैं। जिससे पौधों के विकास में बाधा आती हैं।
यदि खीरे के पौधों में फल आ गए हैं तो फलों पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे नजर आते हैं।
एफिड किट इस रोग को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का काम करते हैं।
खीरे की फसल में लगे कुकुंबर मोजैक रोग पर नियंत्रण के जैविक विधि
खीरे की फसल में इस रोग के फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें या जमीन में गाढ़ दें।
इस रोग के शुरुआती चरण में ही तुरंत जैविक नियंत्रण करें। इसके लिए आपको खीरे की फसल में 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन बाद पुनः स्प्रे करें।
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