किसान बिना किसी सलाह के अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग अन्धाधुंध करते रहते हैं। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। गेहूं की फसल में जरूरत से ज्यादा यूरिया खाद डालने से फसलों को फायदे की जगह नुकसान हो रहा है। फसलों की अच्छी पैदावार पाने की मंशा से किसान बड़ी मात्रा में डीएपी और यूरिया खाद डाल रहे हैं।
किसान एक एकड़ गेहूं की फसल में एक बार में एक बैग यूरिया डालते हैं, जबकि अधिक मात्रा में यूरिया डालने से फसल को नुकसान होता है। किसान उर्वरकों के संबंध में न तो कृषि अधिकारियों से सलाह लेते हैं और न ही जागरूकता सेमिनार में भाग लेते हैं और न ही कृषि जागृति के पोस्ट ही पढ़ते हैं।
मुख्य कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि प्रति एकड़ तीन बार दो-दो बोरी यूरिया खाद उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त है। किसानों को बुवाई के समय 25 से 30 किलो यूरिया डालना चाहिए, फिर 20 से 25 दिन बाद दूसरी बार छिड़काव करना चाहिए। तीसरी बार बराबर अंतराल पर यूरिया डालें। अधिक यूरिया डालने से पौधों को आवश्यकता से अधिक यूरिया मिलता है, कुछ जमीन में चला जाता है और कुछ हवा में उड़ जाता है।
लेकिन कृषि जागृति का सुझाव है की किसानों को अपनी फसलों में 4:3:1 के अनुपात में उर्वरक डालनी चाहिए। जैसे की आप 7 किलोग्राम उर्वरक में 4 किलोग्राम यूरिया, 3 किलोग्राम डीएपी, 1 किलोग्राम पोटेशियम है। लेकिन हम किसको को प्रति एकड़ गेहूं की फसल के खेत में उर्वरक डालने की सलाहः देते है की आप 25 किलोग्राम यूरिया, 15 किलोग्राम डीएपी, 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस या 10 किलोग्राम जी-सी पावर को मिलाकर छिड़काव करें। इस उर्वरक की मात्रा को आप गेहूं की पहली सिंचाई के समय एवं दूसरी सिंचाई के समय दे सकते हैं।
अगर आप अपनी गेहूं की फसल को रोग मुक्त रखना चाहते हैं तो आप जैव उर्वरक का इस्तेमाल करें वो भी सही मात्रा में, इसके लिए आप 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस, 10 किलोग्राम जी-सी पावर में 500 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस या जी-डर्मा प्लस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर कर 30 मिनट हवा लगने के बाद संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। इस जैव उर्वरक की मात्रा को आप मिट्टी उपचार के लिए, पहली सिंचाई के लिए एवं दूसरी सिंचाई के लिए कर सकते हैं गेहूं की फसल में।
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