हमारे देश में पशु पालन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। पशु पालन एवं दूध उत्पादन के व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति कृषि जागृति के इस को ध्यान पूर्वक पढ़ें और समझे। कृषि जागृति के इस पोस्ट के माध्यम से हम दुधारू पशुओं में टीकाकरण के महत्व एवं लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान किए हैं। दुधारू पशुओं में टीकाकरण बहुत ही महत्वपूर्ण है। टीकाकरण से पशुओं को प्राणघातक रोगों से बचाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में पशुओं में टीकाकरण के महत्व एवं लाभ के बारे में विस्तार से।
पशुओं में विभिन्न संक्रामक रोगों के होने का खतरा कम हो जाता है। टीकाकरण से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती हैं। इससे पशुओं को जीवाणु, विषाणु, कवक, संक्रमण आदि रोगों से लड़ने की ऊर्जा मिलती है।
पशुओं को कई ऐसे रोग भी लगते है जो फैल कर इंसानों को भी हो सकते हैं। इन रोगों में गाय का चेचक रोग, ब्रुसेलोसिस, क्षय रोग आदि शामिल है। इन रोगों को फैलने से रोकने के लिए पशुओं को टीकाकरण करना बहुत जरूरी हैं।
इस तरह पशुओं के साथ मनुष्यों का भी बचाव होता है। टीकाकरण से कई घातक रोगों के कारण पशुओं को मृत्यु से भी बचाया जा सकता है।टीकारण दुधारू पशुओं में प्रजनन संबंधी विकारों, जैसे बांझपन और गर्भपात को रोकने में मदद कर सकते हैं।
संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है: सही समय पर दुधारू पशुओं का टीकाकरण नहीं करने से फुट एंड माउथ डिजीज यानि एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, एंथ्रेक्स और कई अन्य संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है। ओर पशुओं की मृत्यु तक भी हो जाती है।
दूध उत्पादन में कमी: बीमारी पशु दूध का उत्पादन नहीं कर सकते हैं या उनके दूध की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस तरह संक्रमण रोग दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन को कम कर सकते हैं। जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है।
एंटीबायोटिक दवाओं का बढ़ता उपयोग: दुधारू पशुओं को टिका नहीं लगाने से उनके बीमार होने की संभावना ज्यादा रहती है। विभिन्न रोगों पर नियंत्रण के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग की आवश्यकता सकती है। एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक प्रयोग से एंटीबायोटिक प्रतिरोध हो सकता है। जिससे पशुओं ओर मनुष्यों दोनों में संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो सकता है।
मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा: यदि दुधारू पशुओं का टीकाकरण नहीं किया जाता है, तो उनके दूध और अन्य डेयरी उत्पादों माध्यम से कई रोग मनुष्यों में फैल सकते हैं। यह मानव स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: सही समय पर दुधारू पशुओं का टीकाकरण कराने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है।
संक्रामक रोगों से बचाव: टीकाकरण पशुओं में संक्रामक रोगों से बचाव करने में मदद करता है।
लागत में कमी: पशुओं के स्वस्थ एवं निरोग रहने से दवाइयों पर होने वाले खर्च में कमी आती है।
गर्भपात रोग से बचाव: कई बार कुछ कारणों से पशुओं में गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में टीकाकरण के द्वारा हम दुधारू पशुओं को होने वाले गर्भपात रोग से भी बचा सकते हैं।
दूध उत्पादन में वृद्धि: टीकाकरण से पशुओं के रोग ग्रस्त होने की संभावना कम हो जाती है। स्वस्थ पशु अधिक मात्रा में दूध उत्पादन कर सकते हैं।
पशु चिकित्सक से परामर्श करें: दुधारू पशुओं का टीकाकरण करने से पहले पशु चिकित्सक से परामर्श करना काफी महत्वपूर्ण है।
टीकाकरण के बाद पशु का निरीक्षण करें: किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया के लिए टीकाकरण के बाद पशु का निरीक्षण करना काफी महत्वपूर्ण है। यदि कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया देखी जाती है तो पशु चिकित्सक से तुरंत परामर्श करना चाहिए।
रिकॉर्ड रखना: दुधारू पशुओं को दिए जाने वाले टीकाकरण सटीक रिकॉर्ड रखना महत्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि पशु रोगों से सुरक्षित है।
टीकों का उचित भंडारण: टीकों को उनकी प्रभावकारिता बनाए रखने के लिए ठीक से संग्रहीत किया जाना चाहिए और प्रकाश से संरक्षित किया जाना चाहिए।
यह भी पढ़े: पशुओं के दूध उत्पादन क्षमता में कमी होने के ये है कुछ प्रमुख कारण!