चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 41वीं अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना में आलू की दो नई किस्मों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में खेती के लिए जारी करने की अनुशंसा की गई। इनके नाम में एमएसपी/16-307 और कुफरी सुखयति शामिल हैं। ये दोनों अधिक उपज देने वाली किस्में हैं और इनकी भंडारण क्षमता भी अधिक है।
क्या है इन दो नई आलू की किस्मों की खासियत?
एमएसपी/16-307 किस्म की खासियत यह है कि इसके आलू और गूदे का रंग बैंगनी होता है और यह 90 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है, जबकि कुफरी सुखयती किस्म सिर्फ 75 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। इन किस्मों को देश के उत्तरी, मध्य और पूर्वी मैदानी इलाकों के लिए जारी करने की सिफारिश की गई है।
जैव-फोर्टिफाइड किस्मों की आवश्यकता
शोध निदेशक ने बदलते परिदृश्य में फसल सुधार, फसल सुरक्षा एवं सत्यापन पर जोर दिया। विज्ञप्ति में उपरोक्त परियोजना को फसल उत्पादन के तहत विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बहु-स्थान मूल्यांकन में महत्वपूर्ण बताया गया है। उन्होंने बायो-फोर्टिफाइड और पोषण की दृष्टि से बेहतर आलू की किस्में विकसित करने पर जोर दिया।
इन दोनों किस्मों को आलू के प्रमुख रोगों जैसे कि आलू का पिछेता झुलसा, आलू का फफूंद रोग, आलू का तना सड़न रोग और आलू का गोल कंद सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी बनाया गया है। इन किस्मों की खेती भारत के सभी प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों में की जा सकती है। इन किस्मों के विकास से किसानों को आलू की खेती में अधिक पैदावार और लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही, इन किस्मों का उपयोग करके आलू से बने उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
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