मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में 1 से 5 जनवरी के दौरान गेहूं की कीमतों में 109 रुपए प्रति क्विंटल यानी 4.43 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। 1 जनवरी 2024 को गेहूं का भाव 2,460 रुपए प्रति क्विंटल था, जो 5 जनवरी को घटकर 2,351 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। फिलहाल देश के मुख्य बाजारों में गेहूं का भाव 2,275 रुपए प्रति क्विंटल के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सीजन के दौरान 29 दिसंबर 2023 तक देश के विभिन्न गेहूं उत्पादक राज्यों में 320.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की फसल बोई गई है। गेहूं का रकबा पिछले साल के इसी अवधि के दौरान के 324.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 1.23 प्रतिशत घटा है। हालांकि, गेहूं का रकबा पिछले पांच सालों के औसत गेहूं बुआई के रकबे 307.3 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 4.29 प्रतिशत अधिक है। देश के अधिकांश राज्यों में गेंहू की बुवाई पूरी हो चुकी है और कुछ राज्यों में बुवाई आखरी चरणों में है।
गुजरात और राजस्थान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दोनों राज्यों में गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले लगभग 4 फीसदी पिछड़ी है। विभिन्न राज्यों में फसल अंकुरण एवं कल्ले फूटने के अवस्था में है। मौजूदा ठंडे तापमान को देखते हुए अच्छी फसल की संभावना दिख रही है। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यदि तापमान सामान्य रहता है, तो इस साल गेहूं का उत्पादन 1,140 लाख टन के नए रिकॉड स्तर को छू सकता है। आपको बता दें कि फसल वर्ष 2022-23 के दौरान देश में 1,105 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जबकि इससे पिछले साल यह 1,077 लाख टन पर था।
भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुला बाजार बिक्री योजना के तहत साप्ताहिक आधार पर गेहूं की ई-नीलामी की जा रही है। अब तक लगभग 60 लाख टन गेहूं खुले बाजार और सहकारी समितियों को बेचा जा चुका है। फरवरी के अंत तक और 25 लाख टन गेहूं की बिकवाली की संभावना है। इस वजह से गेहूं की सरकारी भंडार में लगातार कमी आ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक अप्रैल की पहली तारीख तक गेहूं भंडार बीते 16 सालों के न्यूनतम स्तर पर आ सकता है।
गेहूं की सरकारी भंडार में गिरावट, कल्याणकारी योजनाओं के लिए गेहूं की जरूरत जैसे कारणों के चलते बंपर उत्पादन के अनुमान के बावजूद गेहूं के भाव एक सीमा से नीचे गिरेंगे। नई फसल की आवक शुरू होने के बाद कीमतों में कुछ कुछ हद तक कमी आ सकती है। हालांकि तब भी गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आने की संभावना कम ही है। फिलहाल मंडियों में गेहूं की ऊंची कीमतों को देखते हुए कृषि जागृति किसानों को उनकी फसल मौजूदा बाजार भाव पर बेचने की सलाह हैं।
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