छत्तीसगढ़ के धमतरी विकासखंड के ग्राम सारंगपुर नेमा सोनवानी मुर्गी पालन और मशरूप का उत्पादन करती है। मुर्गी पालन और मशरूम ने नेमा को आत्मनिर्भर बना दिया है। नेमा बताती हैं कि वर्ष 2017 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्व सहायता समूह से जुड़ीं। इसके बाद उन्होंने स्वरोजगार करने की मंशा से समूह से 60 हजार रुपए का ऋण लिया तथा मुर्गी पालन शुरू कर दिया।
नेमा बताती हैं कि उन्होंने घर का काम करते-करते मुर्गीपालन किया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। मुर्गी पालन से मिली राशि से वह ऋण चुकाने लगी और घर के खर्च के बाद बची राशि को जमा करने लगीं। इसके बाद नेमा गांव में गठित उत्पादक समूह से जुड़कर मशरूम उत्पादन का कार्य भी करने लगीं।
नेमा कहती हैं कि घर आर्थिक स्थिति सुधारने बाद बच्चों को अच्छी शिक्षा तो दे रही हैं। साथ ही वह परिवार का भी सहयोग भी कर रही हैं। नेमा खुद अपने पैरों पर खड़े होकर अन्य महिलाओं को भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं, ताकि उसकी तरह अन्य महिलाएं भी अपने पैरों में खड़े होकर अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत करें।
श्रीमती सोनवानी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो अपने जीवन में बदलाव लाना चाहती हैं। मुर्गी पालन के माध्यम से आत्मनिर्भरता हासिल करके, उन्होंने अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह कहानी उन महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं और अपने परिवारों का भरण-पोषण करना चाहती हैं।
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