जैविक खेती

खीरे की फसल को खतरे में डाल सकता है ये थ्रिप्स किट, तो कैसे करे नियंत्रण जैविक विधि से!

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krishijagriti5

उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इन दिनों खीरे की फसल में थ्रीप्स किट काफी आक्रमण कर रहे हैं। जिसे आम भाषा में तेला या चेपा भी कहां जाता हैं, इस किट के प्रकोप ने किसानों की परेशानियां काफी बढ़ा दी हैं। इस किट के प्रकोप के कारण खीरे की फसल में 30 से 50 प्रतिशत तक की नुकासन होती है। ये की खीरे के पौधों का रस चूसने के अलावा ये किट वायरस के द्वारा होने वाले रोगों को भी एक पौधे से अन्य पौधों में फैलाने का काम करते हैं। ये किट समूह में पाए जाते हैं और बहुत ही कम समय में फसल को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।

खरे की फसल में लगे तेला किट की पहचान

खीरे की फसल में लगे इस किट की लंबाई 1 से 2 मिलीमीटर तक होती है।

यह देखने में काले, पीले या सफेद-पीले रंग के होते हैं।

इस किट का शरीर पतला और हल्का लंबा होता है।

खीरा की फसल में लगे तेला किट से होने वाले नुकसान

इस किट का प्रकोप होने पर पत्तियां झुरीदार, सिकुड़ी हुई और विकृत नजर आने लगती है।

कुछ समय बाद इस किट से प्रभावित पौधों की पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ने लगती है, जिससे पौधे के विकास में बाधा आती हैं।

फिर खीरे की फसल से फूलों का झड़ना और फूलों और फलों की संख्या में कमी होने की समस्या बढ़ जाती हैं।

खीरे की फसल में लगे थ्रिप्स किट को करे जैविक विधि से नियंत्रण

खेत में लगे खीरे की पौधों को समय समय पर किट की उपस्थिति की निगरानी करते रहें। इसके अलावा कीटों को नियंत्रण करने के लिए प्रति एकड़ खीरे की खेत में 5 से 7 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं। चार खेत के कौने पर और एक बीच में लगाएं और दो बीज के आजू बाजू लगाएं।

खीरे की फसल में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन देने से बचे यानी यूरिया का छिड़काव ज्यादा न करे बल्कि उच्चित में दे यानी प्रति एकड़ खेत में 25 किलोग्राम ही यूरिया दे। बाकी अलग से कोई उर्वर मिलाएं।

खीरे की फसल में इस किट के लगने के शुरुआती चरण में ही जैविक उपचार करें ना की रासायनिक उपचार। जैविक उपचार करने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें।

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क्या आप अपनी खीरे की फसल में लग रहे बार बार रोग व कीटों से परेशान रहते है तो कृपया अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े और अन्य किसान भाइयों को भी जुड़े।

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