बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग प्राकृतिक आपदा से पशुओं के मौत पर पशुपालकों को मुआवजा प्रदान करता है। प्रत्येक पशुपालकों को अधिकतम तीन पशुओं की मौत पर मुआवजा दिया जाता है।
सरकार के सहाय्य अनुदान योजना के तहत अलग-अलग प्रकार के पशुओं की मौत पर मुआवजा की राशि अलग-अलग तय की गई है। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में विस्तार से।
दुधारू पशु के मौत पर: गाय, भैंस, ऊंट की मौत पर पशुपालकों को प्रति पशु 37,500 रुपए दिए जाते है। वहीं, बकरी, भेड़ और सुअर के मौत पर प्रति पशु 4,000 रुपए मुआवजा मिलता है। अधिकतम 30 पशुओं तक अनुदान दिया जाता है।
भार वाही पशु के मौत पर: भार वाही पशु की मौत पर प्रति पशु 32,000 रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इसके तहत बोझ ढोने वाले पशुओं को शामिल किया गया है, जैसे बैल, ऊंट और घोड़ा। अधितकम 3 भार वाही पशुओं के लिए मुआवजा मिलता है। वहीं मुर्गी पालन करने वालों को प्रति यूनिट 100 रुपए का मुआवजा मिलेगा। इसकी अधिकतम सीमा 5,000 रुपए तक है।
लेकिन अफसोस की बात यह है कि ये मुआवजा क्षति ग्रस्त हुए पशुपालकों को ठीक से नहीं मिल पाता हैं। क्योंकि की बहुत से पशुपालकों को मालूम ही नहीं है कि उनके पशुओं को प्राकृतिक आपदा द्वारा हुई मौत पर मुआवजा भी मिलता है।
अगर उन्हें ये बात मालूम भी है तो ये मुआवजा लेने में क्षति ग्रस्त हुए पशुपालकों को काफी बाग दौड़ करनी पड़ जाती हैं। इसी में कई लोग जो इस कम को कर रहे है। उन्हें कमीशन में देने पड़ जाते हैं।
इसलिए लिए जो इस मुआवजा के भागीदार किसान है वे इसका लाभ नहीं ले पाते हैं और सरकार देखने भी नहीं आती है। उसे बस अपने आंकड़े से मतलब रहता है कि हमने इतने मवेशियों के मौत होने पर पशुपालों को इतने रुपए दे दिए!
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