कर्नाटक के किसान एमजी करीब सप्पा अपने अनार के खेत में फसल पर कीड़ों के बढ़ते हमले की वजह से काफी परेशान थे। जब उन्होंने इन कीड़ों से बचने का उपाय पूछा तो उन्हें बताया गया कि इसके लिए लाखों रुपए का कीटनाशक इस्तेमाल करना पड़ेगा। इतना पैसा नहीं होने के कारण करीब सप्पा कुछ ओर उपाय ढूंढने लग गए।
उन्होनें इस समस्या का हल निकालते हुए अपने खेत में बनी झोपड़ी सोलर बल्ब लगाया उन्होंने देखा कि जब वह बल्ब जलता है तो कीड़े उसकी तरफ आकर्षित होते हैं। अगले दिन करीब सप्पा ने बाजार से एक सामान्य डीसी सोलर बल्ब खरीदा और उसे एक बाल्टी में लगाकर तीन-चार दिन के लिए जला हुआ छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने देखा कि उसे बाल्टी में बहुत से कीड़े मर चुके थे।
इसके बाद उन्होंने इन कीड़ों को उठाया और आईसीएआर के कृषि विज्ञान केंद्र ले गए। करीब सप्पा ने वहां एक साइंटिस्ट से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ? उन्हें साइंटिस्ट ने कहा कि आप अलग-अलग ऊंचाई पर अलग-अलग कलर की लाइट लगाकर इस एक्सपेरिमेंट को जारी रखें, इसके बाद ही कुछ निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
करीब सप्पा ने एक छोटा सोलर ट्रैप डेवलप किया। करीब ₹3500 की लागत से तैयार इस टाइमर सोलर ट्रैप की प्रोग्रामिंग की गई। अब कर्नाटक का किसान करीब सप्पा एक कंपनी चलाते हैं जो इस तरह का सोलर इंसेक्ट ट्रैप बनाती है।
कर्नाटक के किसान करीब सप्पा की कंपनी लक्ष्मी ऑर्गेनिक दो करोड रुपए सालाना का कारोबार कर रही है। खेतों में कीड़ों को मारने वाला यह ट्रैप देश भर के छह राज्य के 16000 किसान तक पहुंच चुका है।
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