भारत के कुछ क्षेत्रों में मक्के की फसल में लगने कि इल्लियों के प्रकोप की खबरे आ रही हैं। ये इल्लियां मक्के की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। अगर सही समय पर इन इल्लियों को नियंत्रण नही किया गया तो 70 प्रतिशत तक मक्के की फसल नष्ट हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट के माध्यम से मक्के की फसल में लगने वाली इल्लियों से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण करने के जैविक तरीके क्या है विस्तार से।
शुरुआत में यह इलिया मक्के की कोमल पत्तियों को खाती हैं। फिर कुछ समय बाद यह किट मक्के की पुरानी पतियों को भी खाना शुरू कर देती है। जिससे मक्के की पत्तियों में छोटे बड़े कई छेद नजर आने लगते है। फिर प्रकोप बढ़ने पर पौधों के विकास में बाधा आती हैं।
मक्के की फसल में लगे इल्लियों को नियंत्रण करने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें। इसके अलावा 150 लीटर पानी में एक लीटर जी एनपीजे को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें।
आप 150 लीटर पानी में एक लीटर जी बायो फॉस्फेट एडवांस को भी मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे कर सकते हैं। ये जैविक कार्य तब करे जब मक्के की फसल में लगे इन इल्लियों का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में हो।
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