ठंड के मौसम में पशुओं की देखभाल मै जरा सी चूक होने पर उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता हैं कई बार पशुओं में ठंड के लक्षण नजर तो आते हैं लेकिन पशुपालक इसे सामान्य समस्या समझ कर नजर अंदाज कर देते हैं।
वही कुछ पशु पालक ठंड लगने के लक्षण से अब तक अनजान हैं तो हम आपको बता दें कि ठंड लगने पर पशुओं के नाक एवं आंखों से पानी आने लगता हैं, भूख मैं कमी आती हैं और शरीर के रोए खड़े हो जाते हैं। केवल इतना ही नहीं पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में भी कमी आती हैं। लक्षण तो जान लिया हमने, अब बात करते हैं पशुओं को ठंड से बचाने के उपायों के बारे में।
पशुओं को ठंड से बचाने के उपाएं
ठंड में हवाओं से बचाने के लिए पशुओं को जुट के बोरे उढ़ाए एवं संतुलित आहार खिलाए। इससे पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पशुओं के आहार में हरा चारा एवं मुख्य चारा को 1:3 के अनुपात में मिला कर खिलाए।
पशुओं के पीने के लिए गुनगुने पानी की व्यवस्था करें। पशुओं को खुले स्थान में न रखें।पशु आवास में ठंडी हवाओं को आने से रोकने के लिए खिड़कियों पर मोटे बोरे लगाएं। पशु आवास की दीवारों में सीलन एवं फार्स पर पानी, मूत्र, आदि की समस्या न होने दें।
फर्श को ठंड से बचाने के लिए फर्श पर पुआल बिछाए। वातावरण में नमी होने के कारण पशुओं में खुरपका, मुंहपका तथा गलाघोटू रोग होने की समस्या बढ़ जाती हैं। पशुओं को इन रोगों से बचाने के लिए सही समय पर टीकाकरण कराए।
ठंड के मौसम में अक्सर पशुओं में दस्त की शिकायत होती हैं। पशुओं को दस्त होने पर घरेलू उपचार करें। समस्या बढ़ने पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह ले।
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