बिहार के गया जिला के किसानों के लिए खीरे की जैविक खेती वरदान साबित हो रहा है। इसकी जैविक खेती से इन्हे काफी अच्छी आय हो रही हैं। गया शहर के चंदौली इलाके में युवा किसान धर्मेंद्र कुमार तीन बीघा में देसी और हाइब्रिड खीरे की जैविक खेती कर रहे हैं। वह मालिनी प्रजाति का हाइब्रिड खीरा और देसी खीरा उगा रहे हैं। उन्हें डेढ़ प्रति एकड़ खेत से 150 क्विंटल खीरा का उत्पादन हुआ है। धर्मेंद्र प्रतिदिन 10 क्विंटल खीरा की तुडाई कर रहे हैं।
खीरा की जैविक खेती से धर्मेंद्र को रोजाना 15 से 20 हजार रुपए की आय प्राप्त हो रही है। उन्हें दो महीने में हाइब्रिड खीरा की प्रति एकड़ जैविक खेती से 2 से 3 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त हुई है। उन्होंने न्यूज 18 को बताया कि देसी वेरायटी के खीरे के जैविक खेती से भी अच्छा उत्पादन होगा। रमजान के चलते उन्हें बाजारों में अच्छी कीमत मिल रही है।
धर्मेद्र ने बताया कि हाइब्रिड खीरा मात्र 35 दिन में फल देना शुरू कर देता हैं। मालिनी प्रजाति का यह खीरा फरवरी माह में लगाया गया था और अब इसका फलन हो गया है। कुछ दिन में यह खीरा समाप्त हो जायेगा। यह कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो जैविक खेती करके अधिक उत्पादन और मुनाफा प्राप्त करना चाहते हैं।
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