लहसुन एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है और मध्य प्रदेश में रबी मौसम में उगाई जाती है। लहसुन की खेती करके किसान सुविधाजनक तरीके से अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इससे किसान आसानी से 10 से 15 लाख रुपये कमा सकते हैं। हम आपके लिए लहसुन की शीर्ष उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जो बेहरत पैदावार देती है यानी 140 से 170 दिनों में तैयार हो जाती हैं और अधिक उपज देती हैं।
एग्रीफाउंड व्हाइट (जी-41): इस किस्म के कंद ठोस एवं मध्यम आकार के, सफेद तथा गूदा क्रीम रंग का होता है। इसके प्रत्येक कंद में 20 से 25 कलियाँ होती हैं। इस किस्म की फसल 160 से 165 दिन में तैयार हो जाती है तथा प्रति हेक्टेयर औसत उपज 125 से 130 क्विंटल होती है। यह किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रतिरोधी है।
यमुना व्हाइट (जी-1): इस किस्म के कंद ठोस होते हैं और उनकी त्वचा चांदी जैसी सफेद और गूदा क्रीम रंग का होता है। प्रत्येक कंद का व्यास 4 से 4.5 सेंटीमीटर होता है और इसमें 25 से 30 कलियाँ पाई जाती हैं। यह किस्म 155 से 160 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उपज 150 से 175 क्विंटल है। यह किस्म बैंगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रतिरोधी है और इसे लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है।
यमुना सफ़ेद-2 (जी-50): इस किस्म के कंद मोटे, सफेद और क्रीम रंग के गूदे वाले होते हैं।
यह किस्म बैंगनी धब्बा एवं झुलसा रोग के लिए अच्छी है। यह 165 से 170 दिनों में खेती के लिए उपयुक्त है तथा 150 से 160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
भीम ओंकार: इस किस्म के कंद मध्यम आकार के, ठोस और सफेद रंग के होते हैं। इसकी फसल 120 से 135 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उपज 80 से 140 क्विंटल होती है। यह किस्म थ्रिप्स कीट के प्रति संवेदनशील है और गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
भीम पर्पल: इस किस्म के कंद बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी फसल 120 से 125 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उपज 60 से 70 क्विंटल होती है। यह किस्म दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
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