जैविक खेती

खीरे की फसल में मंडरा रहा है जैसिड किट का खतरा तो आक्रमण से पहले करे ये जैविक उपचार!

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krishijagriti5

जैसिड्स किट, जिन्हे फुदका किट के रूप में भी जाना जाता है, वास्तव मे खीरे के पौधों के साथ-साथ ये कई अन्य फसलों के लिए एक बड़ी समस्या है। जैसिड छोटे-छोटे पांखवाले रस चूसक किट होते है जो खीरे के पौधों के उतकों को खाते हैं, जिससे खीरे की पत्तियां और तनों को नुकसान होता है। जैसिड के प्रोकाप से खीरे की फसल मुरझाने, पीला पड़ने और विकास में रुकावट आने जैसे लक्षण दिख सकते है। इसके अलावा जैसीड्स पौधों में पत्ती मरोड़क वायरस फैलाने का भी एक बड़ा कारण है, जिससे फसल को बचा पाना पूरी तरह से नामुमकिन हो जाता है।

खीरे की फसल में जैसिड किट के प्रकोप के लक्षण

ये किट खीरे के पौधों के उतकों पर छेदकर पौधों के रस को खाते है। परिणामस्वरूप पत्तियों पर छोटे अनियमित आकार के छेद या छोटे पीले से सफेद धब्बे जा सकते है । संक्रमित पत्तियां किनारों से अंदर की ओर मुड़ने या सिकुड़ने लगती हैं।

जिससे पौधों का मुरझाना और विकास का रुकना शामिल है। जैसे जैसे जैसिड पौधों को खाते रहते हैं, वे पोषक तत्वों की कमी का कारण बन सकते हैं, जिससे पत्तियां पीली हो जाती हैं। इस लक्षण को क्लोरोसिस कहा जाता हैं।

जैसिड्स, हनीड्यू एक चिपचिपा पदार्थ उत्सर्जित करते हैं। हनीड्यू की उपस्थिति चिटियों जैसे अन्य किड़ो को आकर्षित करती हैं और पौधे की सतह पर कालिख के फफूंद के विकास को बढ़ावा देती हैं। जैसिड्स तेजी से छलांग लगाते और छोटी दूरी तक उड़ने के लिए जाने जाते हैं,जिससे आप फसल में इनकी पहचान कर सकते हैं।

खीरे की फसल में लगे जैसिड को नियंत्रण करने के जैविक विधि

एक हीं खेत में लगातार तीन वर्ष तक खीरे की फसल लगाने से बचे। बल्की तीन साल के बाद कोई दूसरी फसल लगाएं। खरपतवार और मलबे को खेत में गहरी जुताई कर मिट्टी में दबाते रहे। ये कीटो को मारने का उच्चित और बेहतर स्थान होते हैं। उचित जल निकासी और उर्वरता के साथ स्वस्थ मिट्टी को बनाए रखे। जिससे फसल में किसी तरह की पोषक तत्वों की कमी न हो।

यदि आप आपने खीरे के पौधों पर कम संख्या में जैसिडस किट देखते ही तुरंत जैविक उपचार करें। इसके लिए आपको 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें।

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उम्मीद है की यह जानकारी हमारे किसान भाइयों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी। साथ ही कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े और अन्य किसान भाइयों को भी जोड़े।

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