भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में से लगभग आधे जलाशयों के जल स्तर में अपनी क्षमता के 40 प्रतिशत से कम पानी बचा है। देश के दक्षिण राज्य पानी पानी की भारी कमी और अपर्याप्त वर्षा से जूझ रहा है। इसलिए चिंताएं और भी बढ़ गई है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा दिए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। अल नीनो के प्रभाव के कारण देश के 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से में जनवरी से लेकर अब तक या तो कम या बिलकुल ही बारिश नहीं हुई हैं, जिससे जल संकट गहरा मंडरा रहा है।
नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि जलाशयों में उनकी कुल भंडारण क्षमता का महज 40 प्रतिशत ही पानी शेष है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि के समय जलाशयों में उनकी भंडारण क्षमता का 84 प्रतिशत पानी था। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पूर्वी क्षेत्रों के जलाशयों में उनकी क्षमता का 50.7 प्रतिशत पानी बचा है। असम के जलाशयों में पानी के भंडारण का स्तर सामान्य से दोगुना है, जिससे कुछ राहत मिली है। पश्चिम और मध्य भारत के क्षेत्रों के क्रमशः 25 और 17 जलाशयों में भंडारण का स्तर 50 प्रतिशत से नीचे है।
उत्तरी क्षेत्र में हिमालय की बर्फ पिघलने से कुछ राहत की उम्मीद है, लेकिन पंजाब और हिमाचल प्रदेश में तापमान सामान्य से 7 प्रतिशत कम है। छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में जल स्तर सामान्य से नीचे है, जिससे देश भर में जल संकट बढ़ गया है। बिहार 59 प्रतिशत बारिश की कमी से जूझ रहा है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जल स्तर में उतार-चढ़ाव एक प्राकृतिक घटना है।हालांकि, मानवीय गतिविधियों, जैसे कि जल का अत्यधिक उपयोग और प्रदूषण, इस उतार-चढ़ाव को और अधिक गंभीर बना सकते हैं।
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