भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से अब बाजरा से चावल बनाया जा सकेगा। इस चावल की खासियत यह हैं कि ये बिना किसी आनुवांशिक संशोधन के विकसित किया गया है और बिल्कुल पारंपरिक चावल जैसा है, साथ ही इसमें बाजरा के सभी पोषण मूल्य संबंधी लाभ मौजूद है। बाजरा से चावल बनाने की इस नई तकनीक में सबसे पहले बाजरे का पाउडर बनाया जाता है और फिर उस बाजरा पाउडर को चावल का रूप दिया जाता है।
ही इस चावल को पकने में पारंपरिक चावल के मुकाबले 20 प्रतिशत कम समय लगता है। भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान और न्यूट्रिहब साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। न्यूट्रिहाब के सीईओ बी दयाकार राव ने बिजनेस लाइन से कहां कि फिलहाल इस तकनीक की मदद से 6 महीने तक बाजरे से चावल बनाया जायेगा। हमने कोदो बाजरा के साथ प्रयोग किया है। इसी विधि को अन्य बाजरा से चावल का उत्पादन करने के लिए लागू किया जा सकता हैं।
बाजरे से चावल बनाने की तकनीक ने बाजरे के उपयोग को बढ़ावा दिया है। यह तकनीक बाजरे को एक अधिक लोकप्रिय और बहुमुखी खाद्य पदार्थ बनाती है। अब किसान बाजरे की जैविक खेती करके अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। बाजरे से चावल बनाने की तकनीक को और अधिक विकसित करने के लिए कई शोध कार्य किए जा रहे हैं। इन शोध कार्यों का उद्देश्य बाजरे से चावल बनाने की प्रक्रिया को अधिक कुशल और प्रभावी बनाना है।
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