बिहार सरकार ने इस वर्ष फसलों की पराली जलाने वाले किसानों से समर्थन मूल्य पर धान नहीं खरीदने का निर्णय लिया है। राज्य में बढ़ता वायु प्रदूषण भी नीतीश सरकार के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है। जिसके चलते ये फैसला लिया गया है। राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि फसल अवशेष (पराली) जलाने वाले किसानों से धान की खरीद नहीं की जाए। साथ ही बार-बार पराली जलाने वालों के किसानों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जाए।
डीबीटी पंजीकरण होंगे रद्द
शिकायत मिलने पर ऐसे किसानों का डीबीटी पंजीकरण रद्द करें। उन्हें सभी प्रकार के अनुदान से वंचित कर दें। इसकी सूची प्रखंड कार्यालय में प्रदर्शित करें। उन्हें धान अधिप्राप्ति के लाभ से भी वंचित करने की कार्रवाई करें।
वायु प्रदूषण होगा घातक
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने धान की कटनी को देखते हुए फसल अवशेष नहीं जलाने को कहा था। और धान की खूंटी, पुआल आदि खेतों में जलाने की बजाए उचित प्रबंधन का निर्देश दिया था। दरअसल धान की कटाई के बाद किसान अपने खेतों के अंदर ही फसलों के अवशेष यानी पराली को जला देते हैं। जिससे वायुमंडल को भी नुकसान पहुंचता है और वायु प्रदूषण भी घातक हो जाता है।
पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह आंखों, गले और फेफड़ों को परेशान कर सकता है, और यहां तक कि कैंसर का भी कारण बन सकता है। बिहार सरकार का यह कदम पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह किसानों को पराली जलाने के बजाय इसके वैकल्पिक उपयोगों के बारे में जागरूक करने में भी मदद करेगा।
यह भी पढ़े: किसानों को अब आधे दाम पर मिलेगा कीटनाशक, जानिए कैसे?
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए जुड़े रहे कृषि जागृति चलो गांव की ओर के व्हाट्सएप ग्रुप से। धन्यवाद