बिहार सरकार खेत में पराली जलाने को लेकर सख्त नजर आ रही है। सरकार का कहना है कि किसान खेतों में धान की फसल के अवशेष को नहीं जलाएं। ऐसा करते पकड़े जाने पर 3 वर्ष तक किसान पंजीकरण रद्द कर सरकारी अनुदान से किसानों को वंचित कर दिए जाने का प्रावधान है। खेत में पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर किसानों को अगले तीन साल तक कृषि विभाग की योजना से वंचित कर दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन रद्द होते ही कृषि विभाग के अनुदान सहित बीज, यंत्रीकरण समेत किसी भी योजना का लाभ वे किसान नहीं ले पाएंगे
सेटेलाइट के माध्यम से किसानों के खेतों पर नजर रखी जा रही है। आपको बता दें कि चिन्हित जिले के 64 किसानों का रजिस्ट्रेशन विभाग ने रद्द कर दिया है। ये सभी सेटेलाइट से खेतों में पराली जलाते पकड़े गए थे। वहीं किसानों का रजिस्ट्रेशन विभागीय पोर्टल पर रद्द करने को लेकर कृषि निदेशक ने डीएओ प्रवीण कुमार राय को पत्र भेजा है।
बिहार सरकार का यह कदम पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए उठाया गया है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है, जिससे लोगों को सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। इसके अलावा, पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। बिहार सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उन्हें पराली के निपटान के लिए कई विकल्प भी उपलब्ध करा रही है। इनमें पराली का खाद बनाने, बिजली बनाने, और जैव ईंधन बनाने शामिल हैं। बिहार सरकार किसानों को इन विकल्पों के बारे में जागरूक भी कर रही है।
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