जयपुर राजस्थान प्रदेश के पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय रहने के दौरान चमकी सर्दी की पकड़ इन दिनों ढीली नजर आ रही है। लेकिन, मैदानी भागों में अल सुबह कोहरे की चादर नजर आने लगी है। उधर खेतों में पीले सरसों की चमक भी चमकने लगी है। अगेती सरसों की फसलों में फूल खिल रहे हैं। वही, चने में भी फलाव आना शुरू हो चुका है। इधर, रबी फसलों की बुवाई निर्धारित लक्ष्य से 89.44 फीसदी हो चुकी है।
गौरतलब है कि रबी फसलों की बुवाई के लिए एक करोड़ 17 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कृषि विभाग का कहना है कि सभी रबी फसलों की बुवाई क्षेत्र बढ़ रहा है। किसान मसाला और गेहूं फसल की बुवाई कर रहे हैं। गौरतलब है कि गेहूं की बुवाई 25 दिसंबर तक किसान कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सर्द मौसम में गेहूं और चने की फसल के लिए अच्छा है। लेकिन मौसम आ रहे बदलाव को देखते हुए सरसों, चना उत्पादक किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है।
आपको बता दें कि सरसों की बुवाई 41 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 35.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है। यह गत वर्ष की समानावधि से कम है। पिछले साल समानावधि में 37.89 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई थी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सरसों की बुवाई क्षेत्रफल में अब ज्यादा बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है। इस लिहाज से सरसों का क्षेत्रफल निर्धारित लक्ष्य से 13 से 13 फीसदी कम रह सकता हैं।
साढ़े 6 लाख हेक्टेयर में हुई जीरा की बुवाई
पश्चिमी राजस्थान में तापमान अब अनुकूल होने के चलते जीरे की बुवाई ने प्रगति दर्शाई है। कृषि वैज्ञानिक डॉ एमएल मेहरिया का कहना है कि रबी सीजन की फसलों के लिए दस डिग्री से कम तापमान अनुकूल होता है। वैसे 12 डिग्री तापमान तक भी फसलें ग्रोथ करती है। कृषि विभाग के अनुसार जीरे की बुवाई 6.67 लाख हेक्टेयर में हुई है। जीरे की सर्वाधिक बुवाई बाड़मेर जिले में हुई है। इसके अलावा नागौर, जैसलमेर, झुंझनू, जोधपुर, जिले में बुवाई हुई है।
सिमटा हुआ है धनिया की बुवाई
लहसुन के प्रतिकिलो भाव आसमान छू रहे है। इसके चलते रबी सीजन में लहसुन की बुवाई आंकड़ा बढ़ने का अनुमान है। प्रदेश में 1.06 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में लहसुन की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी ज्यादा है। वही, गौर करे धनिया की फसल की बुवाई पर तो इस साल किसानों ने हाथ नहीं खोले है। इस कारण बुवाई का आंकड़ा गति नहीं पकड़ पा रहा है। प्रदेश में धनिया की बुवाई 47 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में हुई है। जबकि प्रदेश में डेढ़ से दो लाख हैक्टेयर क्षेत्र में धनिया की बुवाई किसान करते हैं।
जौ की शत प्रतिशत हुई बुवाई
प्रदेश में इस साल जौ की बुवाई शत प्रतिशत का आंकड़ा पार कर चुकी है। जौ की बुवाई ने पिछले साल की बुवाई के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। गत वर्ष समानावधि में 4.6 लाख हेक्टेयर में जौ फसल की बुवाई किसानों ने की थी। जबकि इस साल 4.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जौ फसल की बुवाई हो चुकी है। जबकि कृषि विभाग ने चना की बुवाई के लिए 3.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य तक किया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कमी के चलते इस साल जौ की बुवाई बढ़ी है।
यह भी पढ़े: देश के इस राज्य में 5 रुपए प्रति किलोग्राम प्याज बेचने पर मजबूर हुए किसान!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें।