प्रधानमंत्री मोदी मकर संक्रांति के दिन जिन गायों को चारा खिला रहे हैं वे बेहद खास गाये हैं। पुगनूंर नस्ल की इन गायों की औसत लंबाई बेहद कम होती है यानी 3 से 3.5 फीट, लेकिन इनकी कीमत लाखों में हैं। लोग इन्हें दुनिया की सबसे छोटी गाय के नाम से भी जानते हैं। पुंगनूर गाय महज 5 किलो चारा खाकर 5 लीटर तक दूध दे सकती हैं।
यह आंध्र प्रदेश की एक घरेलु नस्ल की गाय की, जिसे पुंगनूर या ड्वार्फ काउ के नाम से भी जाना जाता है। पुंगनूर एक विशेष और दुर्लभ किस्म की गाय है जिसकी उत्पत्ती आंध्र-प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर गांव में हुई। इस गाय की संख्या बहुत कम होने की वजह से अभी इसे नस्ल का दर्जा नहीं दिया गया है। यह गाय अन्य गायों से कई मायनों में अलग है।
आमतौर पर गाय के दूध में 3 से 3.5 प्रतिशत तक फैट होता है लेकिन पुंगनुर गाय के दूध में 8 प्रतिशत तक फैट होता है, जो भैंस के दूध के बराबर है। इसके कद की ऊंचाई 70 से 90 सेंटी मीटर के बीच होती है और वज़न 115 से 200 किलो के बीच। दिनभर में केवल 5 किलो चारा खाकर पुंगनूर गाय 5 लीटर तक दूध दे सकती है। इस वजह से यह गाय बहुत गर्म इलाके जहां सूखे की स्थिति होती है।
वहां भी सूखा चारा खाकर जीवित रह सकती है। पुंगनूर गाय दुनिया की कुछ सबसे छोटे कद वाली गायों में से एक है। इसके दूध में कई औषधीय गुण भी मौजूद है साथ ही पुंगनूर गाय का धार्मिक महत्तव भी है, इसीलिए तिरुमाला तिरुपति मंदिर में इस नस्ल की करीब 200 गायें हैं, जिनके दूध से बने घी को भगवान वेंकटेश की पूजा-अर्चना के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कम संख्या में मौजूद होने की वजह से आंध्र प्रदेश के धनी वर्ग के लोगों में पुंगनुर गाय खरीदने की होड़ मची रहती है। PC: लवकुश,आवाज एक पहल
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