भारत में गेंहू के बाद सबसे अधिक मक्के की खेती की जाती हैं। इसकी खेती रबी, खरीफ और जायद मौसम में की जा सकती हैं। मैदानी क्षेत्र हो या पहाड़ी क्षेत्र, इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती हैं। इस खरीफ मौसम में यदि आप भी मक्का की जैविक खेती करना चाहते हैं तो इसकी बुआई का सही समय एवं बुआई से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां कृषि जागृति के इस पोस्ट से प्राप्त कर सकते हैं।
खरीफ मक्के की बुआई के लिए जून-जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता हैं।
देर से पकने वाली किस्मों की बुआई मध्य जून तक की जाती हैं।
जल्दी पकने वाली किस्मों की बुआई जून के आखिरी सप्ताह तक कर लेनी चाहिए।
वर्षा के समय खेती की जाने वाली किस्मों की बुआई जुलाई के पहले सप्ताह तक करे।
छोटे दाने वाली किस्मों की खेती करने पर प्रति एकड़ खेत में 5 से 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं।
वही संकर किस्मों की खेती के लिए प्रति एकड़ खेत में 8 से 9 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
संकुल किस्मों की खेती करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 7 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं।
बीज का चयन करने के बाद प्रति किलोग्राम बीज को 10 मिली जी-एनपीके से उपचारित करें।
इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 10 मिली जी डर्मा प्लस से भी उपचारित कर सकते हैं।
मक्के की बुआई कतार में करनी चाहिए। इससे सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण में काफी आसानी होती है।
सभी कतारों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखे।
यदि मक्के की अगेती किस्मों की खेती कर रहे हैं तो पौधों के बीच 7 से 10 इंच की दूरी रखे।
देर से पकने वाली किस्मों की खेती करने पर सभी पौधों के बीच एक फुट की दूरी रखनी चाहिए। और बीज की बुआई 2 से 3 इंच की गहराई पर करे।
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