महाराष्ट्र राज्य में कपास की खेती बहुत अधिक मात्रा में की जाती हैं। साथ ही महाराष्टबक विदर्भ और मराठवाड़ा भागो में भी किसान बीटी कपास की खेती करते हैं। लेकिन अगर अभी मौजूदा स्थिति को देखे तो मराठवाड़ा और विदर्भ के किसान तेलंगाना जाकर कपास के बीज खरीदकर अपने खेतों में लगा रहे हैं।
हालाकि ,इस चोरी छिपे तरीके से लाए गए बीटी कपास के बीज से किसानो को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता हैं। इसलिए यह जानकारी भी दी गई है की किसान अपने क्षेत्र में उपलब्ध कपास के बीज ही लगाए। महाराष्ट्र राज्यो में उपलब्ध बीटी कपास के बीज तेलंगाना राज्य की तुलना में सस्ते है। लेकिन फिर भी किसानो ने तेलंगाना जाकर चोरी छिपे कपास के बीज खरीदकर अपने खेतों में लगा दिए हैं।
इसका मुख्य कारण यह है कि इसे तेलंगाना में बिजी 3 के नाम से जाना जाता हैं और इसे बड़ी संख्या में किसानो ने खरीदा है। इस किस्म का मुख्य उद्देश्य यह है कि जब कृषि में बड़ी मात्रा में खरपतवार नशाको का उपयोग किया जाता हैं तो इस किस्म पर BG-3 का कोइ प्रभाव नही पड़ता हैं। इसलिए किसान खेत में बड़ी मात्रा में खरपतवारनाशको का उपयोग कर सकते हैं।
BG-3 कपास किस्म को सरकार के माध्यम से अनुमति नहीं दी गई है। इसलिए, यदि किसान इस किस्म को खरीदते हैं, लेकिन फिर खेत में फसल नही उगती है, तो किसानो को भारी नुकसान भी हो सकता हैं। क्योंकि किसान बिल चोरी करके किसी और के नाम पर खरीद कर किस्म खरीद रहे है।इसलिए, यदि नुकसान भी होता है, तो किसानो के पास बीज खरीदने का सबूत नहीं होगा।
हालाकि चोरी किए गए बिटी कपास के बीज अब किसानो द्वारा लाभदायक माने जाते हैं। हालाकि, इस किस्म को अपने खेतो को संक्रमित करने से रोकने के लिए किसान जिस हद तक खरपतवारनशाको का उपयोग कर रहे हैं, वह व्यापक है।
इससे किसानो की खेती में तत्व नष्ट हो रहे हैं और केंचुआ भी नष्ट हो रहा है। इसलिए दिन प्रति दिन खेती भी बंजर होती जा रही हैं। इस BG-3 कपास खरपतवार के कारण किसानों को यह भारी नुकसान हो सकता हैं।
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