गुलाबी तना छेदक, जिसे गुलाबी मक्का बेधक या सेसमिया इनफेरेंस के नाम से भी जाना जाता है। विशेष रूप से एशिया के कई क्षेत्रों में मक्के की फसल में लगने वाले एक प्रमुख किट है। यह किट मक्के के पौधों पर अपने अंडे देता है और लार्वा तने मैं छेद कर आंतरिक उतकों को खा कर व्यापक क्षति पहुंचाते है। इसके अलावा गुलाबी तना छेदक मक्के की फसल में डेड हार्ट की स्थिति भी उत्पन्न है, जिसके कारण पौधे बोने, डेढ़े मेढे और क्षतिग्रस्त क्षेत्र से झाड़ीदार होने शुरू हो जाते हैं।।
गुलाबी तना बेधक किट के जीवन चक्र चरण होते हैं। अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क गुलाबी तना बेधक एक रात्रिचर किट है अर्थात यह किट रात को अधिक सक्रिय रहते हैं। यह किट गुलाबी या हल्का भूरा होता हैं साथ ही लार्वा यानी कैटरपिलर गुलाबी रंग के साथ पीले रंग के होते हैं। और मक्के के तने में छेद करने में सबसे अधिक योगदान देते हैं।
मक्के के पौधों में गुलाबी तना छेदक लार्वा की उपस्थिति विभिन्न लक्षण पैदा कर सकती है। इनमें पत्तियों का मुरझाना या सुखना, पौधों का पीला पड़ना, विकाश रुकना और रुक जाना, तने का टूटना या झुकना शामिल हैं। क्षतिग्रस्त तने में लार्वा द्वारा बताए गए प्रवेश छेद, सुरंगे या गैलरी दिखाई देती हैं।
यह किट तने को कमजोर कर देता है, जिससे तेज हवाओं या भारी बारिश के दौरान इसके झुकने या टूटने की संभावना अधिक हो जाती हैं।लार्वा तने को खाते हैं, जो पोषक तत्वों और पानी के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं।
जिससे मक्के के पौधे स्वस्थ पौधों की तुलना में छोटे हो जाते हैं। और उपज पर असर पड़ता हैं। मक्के के तने में गुलाबी तना छेदक लार्वा द्वारा बताए गए छेद कवक और बैक्टीरिया जैसे रोग जनको के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में काम कर सकते हैं।
नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें। और जब मक्के की बुआई करे तब मिट्टी और बीज को उपचारित करके बुआई करें।
इस कीट को नियंत्रण करने लिए प्रति एकड़ मक्के की फसल में 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। ध्यान रहे ये कार्य तब करे जब ये किट मक्के की फसल में शुरुआती अवस्था में हो।
इसके अलावा एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस के 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करने पर भी मक्के की फसल में लगे गुलाबी तना छेदक किट को नियंत्रित किया जा सकता हैं।
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