जीरा उन मसालों में शामिल है जिसका इस्तेमाल हर घर में होता है। भारत में जीरा की खेती मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान और गुजरात राज्यों में की जाती है। कमाई के लिहाज से भी जीरे की खेती काफी लाभदायक है। अगर जीरे की उन्नत किस्मों की बुआई की जाए तो किसान लाखों में कमाई कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट के माध्यम से जीरा की खेती कब और कैसे करें।
जीरे की खेती कैसे करें?
अगर जीरे की उन्नत किस्मों की बुआई की जाए तो किसान लाखों में कमाई कर सकते हैं। बुआई से पहले खेत को अच्छी तरह जोतकर उसे अच्छी तरह भुरभुरा बना लेना चाहिए। जिस खेत में जीरे की बुआई करनी है, उस खेत से खरपतवार निकाल कर साफ कर लेना चाहिए। इसके बाद ही बुआई करें।
जीरे की खेती के लिए भूमि
जीरा की खेती के लिए हल्की और दोमट उपजाऊ भूमि अच्छी रहती है। ऐसी मिट्टी में जीरे की खेती आसानी से की जा सकती है।
जीरे की उन्नत किस्में
जीरा की खेती के लिए कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं जैसे आर जेड-19, आरजेड-209, जीसी-4, आरजेड-223 आदि। आपको अपने क्षेत्र के आधार पर उन्नत किस्म का चयन करना चाहिए ताकि आपकी खेती में अधिकतम पैदावार हो सके।
कब करें बुआई
जीरे की बुआई 1 से 30 नवंबर के बीच करनी चाहिए। एक हेक्टेयर खेत के लिए 12 से 15 किलो बीज पर्याप्त है। साथ ही जीरे की बुआई आमतौर पर छिड़काव की विधि से की जाती है। यानी कि जीरे को खेत में छिड़क कर बोया जाता है।
कब करें सिंचाई
जीरे की फसल की सिंचाई की जहां तक बात है तो पहली सिंचाई बुआई के ठीक बाद कर देनी चाहिए। दूसरी सिंचाई बुआई के 7 दिन बाद और तीसरी सिंचाई 15 से 25 दिन पर करनी चाहिए।
इन खाद और उर्वरकों का करें उपयोग
अब बात खाद और उर्वरकों की करें तो जीरे की फसल को 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलो स्फुर और 10 से 15 टन गोबर की खाद की जरूरत होती है। यह मात्रा प्रति 1 हेक्टेयर के लिए हैं। बुआई से पूर्व भूमि में फास्फोरस की पूरी मात्रा मिला देनी चाहिए। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुआई से 30 से 35 दिन बाद और शेष मात्रा बुआई के 60 दिन बाद सिंचाई के बाद खेत में डाली जानी चाहिए।
कितनी होगी कमाई?
जीरे की खेती में लगभग 30 से 35 हजार रुपये प्रति हेक्टयर का खर्च आता है। वहीं जीरे की खेती से आपको लगभग 40 से 45 हजार रुपये प्रति हेक्टयर की शुद्ध कमाई हो सकती है।
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