खेती में अच्छे उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक का सबसे बड़ा महत्त्व होता है। बिना खाद और उर्वरक के फसल को नुकसान ज्यादा होता और अच्छा उत्पादन भी प्राप्त नही कर पाते है। आज हम आपको बताएंगे कैसे आप अपनी रबी फसल जैसे गेंहू, प्याज, लहसुन, चना, सरसो आदि को फफूंद जनित रोगों से बचाव कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
आपको बता दें कि गैलवे कृषम ब्रांड का जी डर्मा प्लस और जी-स्यूडो प्लस जैविक कीटनाशक का उपयोग फसलों पर फफूंद जनित रोगों की रोकथाम के लिए किया जा सकता है। यह उच्च मात्रा में फसलों को पोषक तत्व प्रदान करता है। जो पौधे के लिए आवश्यक पौष्टिक होता है, जिससे फसल फफूंद जनित रोगों से लड़ पाते हैं और अपनी सुरक्षा स्वयं कर लेते हैं। जी डर्मा प्लस और जी स्यूडो प्लस जैविक कीटनाशक फफूंदी, पपीड़ी पत्ती के धब्बे आदि बिरियों को नियंत्रित करता है। ये दोनो जैविक कीटनाशक विभिन्न फसलों में जैसे अंगूर, आम, मटर, सेब, जीरा आदि मे फफूंदी रोगों को नियंत्रित करता है।
गेहूं, चना, प्याज, लहसुन, आलू आदि में कई फफूंद जनित रोग फसल को काफी हानि पहुंचाते है। इसके नियंत्रण के लिए आप गैलवे कृषम ब्रांड के जैविक कीटनाशक जी-डर्मा प्लस और जी-स्यूडो प्लस फफूंदनाशक का इस्तेमाल 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं या 15 लीटर पानी के टैंक में 15 मिली जी-डर्मा प्लस या जी-स्यूडो प्लस को मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें। फसलों पर स्प्रे करने के अलावा इन जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल आप बीज उपचार, मिट्टी उपचार और पौध उपचार के लिए भी कर सकते हैं।
यह भी पढ़े: लहसुन की पत्तियों के पीले होने का कारण जान हो जायेंगे हैरान!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद