कृषि जागृति संदेश

रबी फसलों के फफूंद जनित रोगों से बचाने के लिए इस जैविक कीटनाशक का करे छिड़काव!

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krishijagriti5

खेती में अच्छे उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक का सबसे बड़ा महत्त्व होता है। बिना खाद और उर्वरक के फसल को नुकसान ज्यादा होता और अच्छा उत्पादन भी प्राप्त नही कर पाते है। आज हम आपको बताएंगे कैसे आप अपनी रबी फसल जैसे गेंहू, प्याज, लहसुन, चना, सरसो आदि को फफूंद जनित रोगों से बचाव कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

इन जैविक कीटनाशकों का करें इस्तेमाल

आपको बता दें कि गैलवे कृषम ब्रांड का जी डर्मा प्लस और जी-स्यूडो प्लस जैविक कीटनाशक का उपयोग फसलों पर फफूंद जनित रोगों की रोकथाम के लिए किया जा सकता है। यह उच्च मात्रा में फसलों को पोषक तत्व प्रदान करता है। जो पौधे के लिए आवश्यक पौष्टिक होता है, जिससे फसल फफूंद जनित रोगों से लड़ पाते हैं और अपनी सुरक्षा स्वयं कर लेते हैं। जी डर्मा प्लस और जी स्यूडो प्लस जैविक कीटनाशक फफूंदी, पपीड़ी पत्ती के धब्बे आदि बिरियों को नियंत्रित करता है। ये दोनो जैविक कीटनाशक विभिन्न फसलों में जैसे अंगूर, आम, मटर, सेब, जीरा आदि मे फफूंदी रोगों को नियंत्रित करता है।

कितनी मात्रा में इनका इस्तमाल करें!

गेहूं, चना, प्याज, लहसुन, आलू आदि में कई फफूंद जनित रोग फसल को काफी हानि पहुंचाते है। इसके नियंत्रण के लिए आप गैलवे कृषम ब्रांड के जैविक कीटनाशक जी-डर्मा प्लस और जी-स्यूडो प्लस फफूंदनाशक का इस्तेमाल 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं या 15 लीटर पानी के टैंक में 15 मिली जी-डर्मा प्लस या जी-स्यूडो प्लस को मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें। फसलों पर स्प्रे करने के अलावा इन जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल आप बीज उपचार, मिट्टी उपचार और पौध उपचार के लिए भी कर सकते हैं।

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