2022 में रुसी उर्वरक कंपनियों ने भारत को अपना सबसे बड़ा उर्वरक आपूर्तिकर्ता बनाया। प्रतिबंधों के कारण रूसी उर्वरक कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उर्वरक बेचने में कठिनाई हो रही थी। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए उन्होंने भारत में सस्ते दामों पर डि-अमोनियम फॉस्फेट यानी डीएपी बेचना शुरू किया। लेकिन अब भारतीय उर्वरक उद्योग के तीन प्रमुख सूत्रों के अनुसार, यह सस्ती आपूर्ति अब बंद कर दी गई हैं।
चीन वैश्विक स्तर पर रासायानिक उर्वरकों का सबसे बड़ा निर्यातक हैं। हाल ही में बीजिंग ने विदेशों में उर्वरक की बिक्री कम कर दी है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में रासायनिक खाद महंगी हो गई हैं। रूसी कंपनियां इस स्थिति का फायदा उठा रही हैं। उर्वरक क्षेत्र से जुड़े एक भारतीय प्रशासन ने कहां, रूसी कंपनियां मौजूदा दरों पर उर्वरक की पेशकश कर रही हैं।
पिछले दो महीनों से दुनिया भर में रासायनिक उर्वरकों की कीमतें बढ़ रही हैं। सर्दी आने से पहले भारतीय कंपनियां भारी मात्रा में खाद इक्ट्ठा कर रही हैं। मुंबई की एक फर्टिलाइजर कंपनी के मुताबिक डीएपी की कीमत काफी महंगी हो गई हैं। ऐसा ही कुछ अन्य उर्वरकों के साथ भी हो रहा हैं।
जुलाई में यूरिया की कीमत 300 डॉलर प्रति टन थी और अब 400 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। इसलिए लिए हो सके तो किसान भाइयों आप कुछ उर्वरक खरीद कर अभी से स्टॉक कर सकते हैं अपनी अपने वाली रबी फसलों के लिए। नहीं तो बाद में ये और भी महंगे हो सकते हैं क्यों की चीन ने भी यूरिया पर प्रतिबंध लगा दिया हैं।
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