नवजात पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए उनकी देखभाल को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी हैं। इसके लिए आरामदायक पशु आवास, पोष्टिक आहार, स्वच्छ पानी, नियमित टीकाकरण एवं विभिन्न रोगों से बचाने के लिए नियमित पशु के डॉक्टर से चेक अप करना आवश्यक है। नवजात पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती हैं, जिससे वे आसानी से किसी विभिन्न रोगों की चपेट में आ सकते हैं।
ई कोलाई, श्वास तंत्र की समस्याएं, उचित देखभाल न मिलना, असंतुलित आहार, पेट में कीड़े होना, कोलेस्ट्रम न पिलाना, आवश्यकता से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रम का सेवन, नाभिनाल का ध्यान न रखना
जन्म के बाद 1 से 20 दिनों तक के पशुओं में ई कोलाई होने का खतरा अधिक होता हैं। यह एक जीवाणु जनित रोग है इस रोग से प्रभावित पशुओं को पतले, सफेद पीले रंग के दस्त होते हैं। उचित इलाज नहीं मिलने पर 1 से 2 दिनों में नवजात पशुओं की मृत्यु हो सकती हैं। नवजात पशुओं में जुकाम, दस्त, बुखार, न्यूमोनिया जैसे रोग के लक्षण नजर आने पर तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें।
इनपशुओं को खीस पिलाना बहुत जरूरी है, लेकिन आवश्यकता से अधिक मात्रा में खीस यानी कोलेस्ट्रम पिलाने से नवजात पशुओं को दस्त की शिकायत हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए नवजात पशु को उचित मात्रा में ही खीस पिलाना चाहिए।
जन्म के 15 दिनों बाद पशुओं को पेट के कीड़े मारने के लिए कृमि नाशक दवा जरूर पिलाएं। पशुओं को पाचन तंत्र की समस्याओं से बचाने के लिए बासी आहार एवं अस्वच्छ पानी नहीं देना चाहिए। नवजात पशुओं की नाभिनाल को पकने से बचाने के लिए सही देखभाल करें। एवं आवश्यकता होने पर पशु चिकित्सक से तुरंत परामर्श करें।
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