आम के पत्तियों को गुच्छे में वानस्पतिक मालफॉर्मेशन (खराबी) एक कवकजनित रोग है। कुछ वर्ष पहले तक इसकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं थी। सर्वप्रथम यह रोग दरभंगा, बिहार से रिपोर्ट किया गया था। यह रोग भारतवर्ष में सबसे ज्यादा उत्तर-पश्चिम मे पाया जाता है। वनस्पति मालफॉर्मेशन आम की सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है और आम की सफल खेती के लिए एक गंभीर खतरा है। यह विकार फूलों और वनस्पति वृद्धि में व्यापक रूप से दिखाई देता है। मोटे तौर पर दो अलग- अलग प्रकार के लक्षण होते हैं।
आम में मुख्यत: दो तरह के वानस्पति मालफोर्मेशन देखने को मिलते है प्रथम वानस्पतिक विकृति (वेजिटेटिव मालफोर्मेशन) और दूसरा पुष्प विकृति (फ्लोरल मालफोर्मेशन) कहलाते है। वानस्पति मालफॉर्मेशन नए लगाए गए आम के बागों में अधिक देखा जाता है। इस प्रकार के लक्षण मे नवजात छोटे-छोटे पत्तों को एक छोटे से गुच्छे के साथ पैदा करते हैं, जो छोटी छोटी पत्तियों के झुंड के रूप में दिखाई देते हैं। जिससे सामान्य विकास नहीं होता है। इस प्रकार के लक्षण आम के बड़े पेड़ों में भी देखे जाते है।
पुष्प मालफॉर्मेशन (विकृति) मंजर की विकृति है। मंजर गुच्छे मे परिवर्तित हो कर कुरूप सा दिखाई देता है। पुष्प मालफॉर्मेशन हल्के से लेकर मध्यम या भारी विकृति एक ही शाखा पर भिन्न हो सकती है। मंजर का स्वरूप सामान्य से भारी हो जाता है। गर्मी के दौरान आक्रांत मंजर शुष्क काले द्रव्यमान के रूप में विकसित होते रहते हैं, उनमें से कुछ अगले मौसम तक बढ़ते रहते हैं।
आम में वानस्पतिक विकृति, फुसैरियम मैंगिफेरा कवक के कारण होती है, जो दुनिया भर में आम के बागों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है। इस विकृति के परिणामस्वरूप विकृत विकास, चुड़ैलों की झाड़ू जैसी संरचना और फल उत्पादन में कमी आती है। वानस्पतिक विकृति के प्रसार के प्रबंधन और रोकथाम के लिए कारणों को समझना और प्रभावी उपचार लागू करना महत्वपूर्ण है।
आम में मालफॉर्मेशन (खराबी) के प्रमुख कारण
आम में मालफॉर्मेशन (खराबी) विकृति के लिए एक से अधिक कारक जिम्मेदार है ,जिनमे प्रमुख कारण निम्नवत है
फफूंद का संक्रमण: फ्यूसेरियम मैंगिफेरा वनस्पति विकृति का प्राथमिक कारक है। कवक युवा टहनियों को संक्रमित करता है, जिससे असामान्य विकास पैटर्न होता है। संक्रमण अक्सर छंटाई या अन्य यांत्रिक चोटों के दौरान बने घावों के माध्यम से होता है।
वातावरणीय कारक: उच्च आर्द्रता और गर्म तापमान फंगल विकास और संक्रमण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाते हैं। तापमान और सापेक्ष आर्द्रता इस रोग के रोगज़नक़ की वृद्धि और आम के मालफोर्मेशन के लक्षणों की अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण कारक हैं। तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेंटीग्रेड कम या ज्यादा और सापेक्ष आर्द्रता 65% की मौसम की स्थिति रोगज़नक़ के विकास और रोग के विकास के लिए अनुकूल हैं। 10 डिग्री सेल्सियस से कम और 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान की अवस्था में इस रोग का रोगकारक फ्यूजरियम मंगीफेराई की वृद्धि नहीं होती है।खराब जल निकासी और जल भराव वाली मिट्टी फ्यूसेरियम के प्रसार में योगदान करती है।
अनुचित कल्चरल (कृषि) कार्य: अनुचित छंटाई तकनीक या बार-बार और गंभीर छंटाई कवक के लिए प्रवेश बिंदु प्रदान कर सकती है। अत्यधिक उर्वरकों का प्रयोग, विशेष रूप से नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग , रोग के विकास में योगदान करता है।
विभिन्न प्रकार की संवेदनशीलता: आम की कुछ किस्में दूसरों की तुलना में वानस्पतिक विकृति के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। रोग प्रबंधन के लिए चयनित किस्म की संवेदनशीलता को समझना महत्वपूर्ण है।
PC : डॉ. एसके सिंह प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक(प्लांट पैथोलॉजी) एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर बिहार
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