पाले और शीतलहर के कारण फसलों को काफी गंभीर नुकसान हो सकता है। पाला पड़ने पर पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जल जम जाता है, जिससे कोशिका भित्ति फट जाती है और पत्तियां, कोंपले, फूल और फल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। विशेष रूप से बी की फसलों में फूल और बालियां बनने के समय पाला पड़ने से काफी भारी नुकसान की आशंका रहती हैं। इस स्थिति में किसानों को काफी सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय करना अत्यंत आवश्यक है।
फसलों को पाले से बचाने के लिए कुछ उपाय
गंधक के घोल का छिड़काव: एक लीटर सांद्र गंधक का तेजाब को एक हजार लीटर पानी में मिलकर फसलों पर स्प्रे करें। इसके अलावा 0.2 प्रतिशत घुलनशील गंधक का घोल बनाकर भी छिकाव किया जा सकता है।
नकदी फसलों की सुरक्षा: सब्जी वाली नकदी फसलों को पाले से बचाने के लिए टाट, पॉलीथिन या भूसे से ढकें।
भूमि के तापमान को स्थिर बनाए रखने के लिए इन उपायों का इस्तेमाल करें।
सिंचाई: पाले के दिनों में फसलों में सिंचाई करें। इससे खेत का तापमान बढ़ता है और पाले का प्रभाव कम होता है।
स्थाई समाधान: खेत की उत्तर पश्चिमी दिशा में ऊंचे और घने वृक्ष लगाएं। ये पेड़ ठंडी हवाओं को रोकने में मदद करेंगे।
पाले की संभावना के लक्षण
आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान बहुत कम हो जाए। दिन के समय ठंडी हवा चलने के बाद दोपहर के बाद अचानक हवा का रुक जाना। रात में तापमान गिरने पर पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। किसानों को ऐसे मौसम के विशेष सतकर्ता बरतनी चाहिए और अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त उपाय अपनाने चाहिए।
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