अब तक हम यही जानते आए हैं कि सेब ठंडे प्रदेशों में होता है। जैसे कि हिमाचल प्रदेश या कश्मीर, लेकिन बिहार में भी सेब की खेती शुरू की गई है। इस बात ने सब लोगों को हैरत में डाल दिया है। बेगूसराय जिले में यह नई खेती शुरू की गई है। बिहार सरकार भी अपने स्तर से इसकी खेती को बढ़ावा दें रही है। सेब की खेती ठंडे प्रदेशों में होती है लेकिन बिहार में इसे 40 से 45 डिग्री के तापमान पर उगाया जा रहा है। ऊंचे तापमान के लिए एक खास किस्म तैयार की गई है जिसका नाम है हरमन-99।
यह सेब की नई वेरायटी ऐसे स्थान के लिए ही तैयार की गई है जो गर्म हैं और जहां तापमान ज्यादा है। हरमन-99 सेब राजस्थान में भी उगाया जा रहा है और खेती सफल हो रही है। इस लिहाज से बिहार में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। सवाल ये भी है कि हिमाचल और कश्मीर में जिस तरह की मिट्टी है, वैसी बिहार में नहीं है। ऐसे में बिहार में सेब की खेती कैसे हो सकती है? इन्ही सब प्रश्नों का ज़बाब हरमन-99 सेब की वेरायटी है जो किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।
चाहे वह पथरीली मिट्टी हो या दोमट या लाल। इस हिसाब से बिहार में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। इस फसल के लिए सबसे जरूरी बात जलवायु है जिसे देखते हुए हरमन-99 सेब तैयार किया गया है। हरमन 99 गर्मियों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इस सेब का पौधा 40 से 48 डिग्री तापमान पर भी आसानी से पनप सकता है। इसमें स्वपरागण के जरिए प्रजनन होता है।
इसे कोई भी अपने बगीचे में लगा सकता है। बिहार की मिट्टी में यह पौधा आसानी से उगाया जा सकता है और इसके फल का लाभ लिया जा सकता है। बिहार में बेगूसराय एवं औरंगाबाद के कुछ किसान अपने स्तर से सेब की खेती कर रहे है। पौधो की बढ़वार अच्छी हो रही है। संभावना है की बिहार में पैदा होने वाले सेब उसी टेस्ट, कलर और साइज का होगा जो हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में होता है। सेव की खेती बिहार में करने के लिए आवश्यक है की पौधा लगाने से पहले गड्ढा खोदा जाता है।
इसके बाद उसे फफुंदनाशक दवा से उपचारित किया जाता है ताकि कोई बीमारी न लगे। पौधे को जैविक कीटनाशक जी-डर्मा प्लस से उपचारित करके लगाया जाता है। सेब की खेती में सबसे कम खर्च है, सिर्फ समय पर सिंचाई की जरूरत होती है। हरमन-99 सेब की वेरायटी हिमाचल में तैयार किया गया है, इन पौधों को बिहार सरकार की सरकारी नर्सरी से खरीद कर अपने खेत में लगाया जा सकता है। नवंबर से लेकर फरवरी के अंत तक इस सेब के पौधे को लगाया जा सकता है।
हिमाचल से पौधा लेकर आते हैं तो उसे एक सप्ताह के अंदर लगा देना चाहिए। बिहार के किसान सामान्य खेती धान, गेहूं आदि को छोड़कर अगर इस तरह की खेती की तरफ अपना ध्यान दें तो उनकी आमदनी काफी बढ़ सकती है। किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से बिहार सरकार उनके लिए ट्रेनिग की व्यवस्था करने वाली है ताकि उनको सेव की खेती से जुड़े सभी तकनीकी ज्ञान प्राप्त हो सके।
यह भी पढ़े: केला की फसल में पोटेशियम की कमी से उपज में होती है भारी कमी, जाने कैसे करें प्रबंधन!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद