देश में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई के लिए रकबे में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार तक जायद फसलों की बुआई का रकबा 43.81 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया, जो साल भर पहले की अवधि में 39.49 लाख हेक्टेयर पर था। धान, दलहन और तिलहन सभी के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, धान की बुआई का रकबा पिछले वर्ष के 25.88 लाख हेक्टेयर से 10 प्रतिशत बढ़कर 28.42 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि दलहन की खेती का रकबा 6.25 लाख हेक्टेयर से 24 प्रतिशत बढ़कर 7.72 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। तिलहन का रकबा पिछले साल के 7.36 लाख हेक्टेयर की तुलना में 4 प्रतिशत बढ़कर 7.67 लाख हेक्टेयर हो गया।
दलहन के तहत क्षेत्रफल में बढ़ोतरी का मुख्य कारण मूंग और उड़द के रकबे में वृद्धि है। मूंग की फसल की बुआई पिछले साल के 4.43 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 5.47 लाख हेक्टेयर हो गई हैं, जबकि उड़द की बुआई 1.65 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.08 लाख हेक्टेयर हो गई। तिलहन में मुंगफली और तिल दोनों का रकबा बढ़ा है। मुंगफली का रकबा 3.67 लाख हेक्टेयर पर है, जबकि तिल का रकबा 3.5 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है। सूरजमुखी का रकबा भी बढ़कर 29,000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि सभी राज्यों में समान नहीं है बल्कि कुछ राज्यों में धान का रकबा बहुत अधिक बढ़ा है तो कुछ राज्यों में यह बहुत कम बढ़ा है। हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सभी राज्यों में धान की खेती में वृद्धि हो। यह वृद्धि देश के लिए एक अच्छी शुरुआत है। हमें उम्मीद है कि यह वृद्धि देश में खाद्यान्न सुरक्षा में सुधार होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
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