नई दिल्ली के प्रगति मैदान में संपन्न हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में कुछ ऐसे किसानों के स्टॉल भी लगे थे, जिन्होंने राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए औषधीय पौधों की जैविक खेती से हर्बल प्रोडक्ट तैयार किए और बदलाव की कहानी के नायक बने। खेती से खुद के साथ दूसरों को रोजगार की सोच के साथ आगे बढ़े रहे सोनीपत के एमपी माजरा निवासी श्याम सिंह ने बागवानी से अपने ही प्रोडक्ट तैयार किए हैं।हरियाणा मंडप की स्टॉल पर उन लोगों की अधिक भीड़ देखी जा रही है जो हर्बल प्रोडक्ट खरीदने में रुचि रखते हैं।
हरियाणा से बाहर के लोग भी अच्छी खासी संख्या में हर्बल उत्पादों की इन स्टोलों पर नजर आ रहे हैं। उन्हीं में से एक किसान श्याम सिंह कुछ वर्ष पहले तक अन्य किसानों की तरह ही परंपरागत खेती करते थे लेकिन उनके पिता श्री करण सिंह ने हरियाणा सरकार की योजनाओं पर अमल करते हुए उन्हें औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया।
आंवला की जैविक खेती से मिला प्रोत्साहन
किसान श्याम सिंह ने बताया कि उनके पास 18 एकड़ भूमि है। उन्होंने सबसे पहले आंवला दो एकड़ में लगाया और उसके बाद आंवला की खेती के बीच में ही हल्दी, सरसों, मुंगफली व सौंफ की खेती करने लगे। बागवानी में बड़ा बदलाव 2014 के बाद आया जब उन्होंने आंवला से अलग-अगल प्रोडक्ट बनाने शुरू किए और अब वे 5 एकड़ में आंवला की जैविक खेती कर रहे हैं।
35 से ज्यादा हर्बल प्रोडक्ट कर रहे तैयार और 17 लोगों को दिए है रोजगार
श्याम सिंह ने बताया कि उनके यहां आंवला, बेलगिरी, सौंफ, धनिया, मोरिका, सरसों, गुलाब की खेती करने के साथ इनके हर्बल प्रोडक्ट भी तैयार किए जा रहे है। शुरू में उनके पास आंवला के कुछ प्रोडक्ट तैयार होते थे लेकिन अब वे 35 प्रकार के प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं, जिनमें आंवला कैंडी, आंवला अचार, लड्डू, मुरब्बा, बर्फी, पाउडर, जूस, गुलाब से गुलाबजल, व गुलकंद प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि अब उनके यहां 17 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
जब सोच बदले तब सवेरा
श्याम सिंह ने बताया कि परंपरागत खेती की बजाय बागवानी में फायदा है, लेकिन किसान को अपनी सोच बदलनी होगी और जब वह बागवानी में कदम बढ़ाएगा तब उसे अपने प्रोडक्ट बनाने की भी ललक पैदा होगी। वह कहते है कि किसान को बागवानी की राह पकड़नी चाहिए। जब सोच बदले तभी सवेरा आएगा। उन्होंने हरियाणा सरकार की एफपीओ योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि अब तो किसान अपने समूह बनाकर उत्पादों की मार्केटिंग भी कर सकते है जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।
खेत में ही आउटलेट, वही पहुंच रहे खरीदार
उन्होंने बताया कि आरंभ में विपणन की कुछ समस्याएं आई। मगर जैसे ही लोगों को उत्पादों के बारे में जानकारी मिली, तो वे खरीदारी के लिए आने लगे। उन्होंने खुद अपने खेत में आउटलेट बनाया पहुंचते है। श्याम सिंह के अनुसार इसके अलावा वे कई जिलों में भी अपने प्रोडक्ट सप्लाई कर रहे हैं।
सरकार की योजना से मिली मदद
श्याम सिंह के अनुसार पहले बागवानी विभाग ने उन्हें आंवला प्रोडक्ट बनाने के लिए 11 लाख रुपए के प्रोजेक्ट में 40 प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध कराई थी। इसके बाद उन्होंने प्रोजेक्ट को बड़ा करने के लिए एमएसएमई योजना के अंतर्गत भी लोन लिया। उन्होंने बताया कि परंपरागत खेती की अपेक्षा बागवानी और हर्बल में उन्हें तीन गुना अधिक मुनाफा हो रहा है। उन्होंने कहां कि सरकार द्वारा किसानों के लिए बागवानी क्षेत्र में कई योजनाएं चलाई हुई है। किसानों को सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए।
हरियाणा सरकार के प्रेवक्ता ने भी बताया कि वर्ष 2022-23 में बागवानी की विभिन्न स्कीमों के तहत हरियाणा प्रदेश में 25 हजार लाभग्राहियों को 166 करोड़ 10 लाख रुपए की सब्सिडी दी गई है। राज्य सरकार निरंतर किसानों की आय बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है और इस दिशा में कई योजनाओं को धरातल पर लागू किया गया है, किसानों को केबल खेती के प्रति अपनी सोच और तरीके बदलने की जरूरत है।
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