पिछले कुछ वर्षों में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का चलन दिन प्रति दिन तेजी से बढ़ रहा हैं। अब तक देश के लाखो किसानों ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से विभिन्न फल एवं सब्जियों को उगा कर बहुत मुनाफा कमाया है।
समय के साथ इस तकनीक ने पशुपालक क्षेत्र में भी कदम रख लिया है। अब हाईटेक किसान एवं पशुपालक हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के द्वारा पशुओं के लिए वर्ष भर सफलतापूर्वक पोषक तत्वों से भरपूर चारा उगा सकते हैं।
इस विधि से बीज अंकुरित होने के केवल 7 से 8 दिनों में पौधे तैयार हो जाते हैं। इस विधि से खेती करने पर केवल 9 दिनों में 20 से 30 सेंटीमीटर तक पौधो का विकाश होता हैं।
पारंपरिक विधि से उगाए गए चारे की तुलना में हाइड्रोपोनिक्स विधि से उगाए गए चारे में पोषक तत्वों की मात्रा काफी अधिक होती हैं। पानी की बचत होती हैं। इस विधि से चारे की खेती के लिए जमीन की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती हैं।
खेत की जुताई जैसे कृषि कार्यों में लगने वाले समय की भी काफी बचत होती हैं। मजदूरों पर होने वाले खर्च मैं थोड़ी कमी आती हैं। फसल का विकाश तेजी से होता हैं। इस विधि से चारे की खेती करने पर कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती हैं।
इस विधि से मक्का, गेंहू, चना, जई, जैसे फसलों की खेती बड़ी आसानी से कर सकते हैं।
पशुओं को चारा पचाने में आसानी होती हैं। पशु 90 प्रतिशत चारे को आसानी से पचा सकते हैं। पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।जिससे पशुओं की प्रजनन क्षमता सक्रिय होती हैं। पशुओं के शरीर में प्रोटीन, खनिज, विटामिन, जैसे पोषक तत्वों की कमी दूर होती हैं। दूध में वसा की मात्रा बढ़ती है। जिससे दूध उत्पादन में 0.5 लीटर तक वृद्धि हो सकती हैं।
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