मौसम में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी कोहरा व शीतलहर का असर तो कहीं पर बारिश के कारण सरसों की फसल को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते सरसों की फसल को कई प्रकार के कीट और रोग लग सकते है। किसान सरसों के कीटों को अच्छी तरह पहचान कर उनका आसानी से नियंत्रण कर सकते हैं। आज हम आपको कृषि जागृति इस पोस्ट के माध्यम से बताएंगे सरसों की फसल को किन कीटों से नुकसान हो सकता है।
माहू कीट: इस कीट के शिशु व प्रौढ़ समूह में रहकर पौधों पर आक्रमण करते हैं जिससे फलियां व तना चिपचपा हो जाता है। फलियों में दाने नहीं बन पाते हैं और दाने बनते भी हैं तो कमज़ोर बनते हैं।
चेपा कीट: हल्के हरे-पीले रंग का यह कीट छोटे-छोटे समूहों में रहकर पौधे के विभिन्न भागों कलियों, फूलों, फलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसता है।
चित्तकबरा कीट: यह सरसों का मुख्य कीट है जिसके शिशु व प्रौढ़ पौधों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके शिशु व प्रौढ़ अण्डाकार होते हैं जिनके उदर पर काले भूरे धब्बे होते हैं। यह पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं।
आरा मक्खी: यह हाइमेनोप्टरा वर्ग का एकमात्र हानिकारक कीट है जो फसल को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट की गहरे रंग की सूंडी पत्तियों में छेद करके तथा नई प्ररोह को काटकर हानि पहुंचाती है।
सूण्डी कीट: इस कीट की सूंडियां पत्तियों में सुरंग बनाकर हरे पदार्थ को खाती हैं। पत्ता सूर्य की तरफ करने पर कीट साफ दिखाई देता है। पौधे कमजोर हो जाते हैं तथा उत्पादन पर भी असर पड़ता है।
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