खीरे की फसल एक बेल वाला पौधा है। इसके फलों के साथ ही इसकी बीज की भी मांग बहुत होती है। इसके बीज को सूखे मेवे की तरह खाया जाता है एवं इससे मिठाईयां भी तैयार की जाती है। केवल इतना ही नहीं बल्कि इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है। खीरा में लगभग 96 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है। इसलिए गर्मी के मौसम में इसकी मांग बढ़ने लगती है। बात करे इसकी खेती की तो उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए जैविक उर्वरक प्रबंधन की जानकारी होना अति आवश्यक है। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में कि खीरे के स्वस्थ पौधों के लिए जैविक उर्वरक प्रबंधन के बारे में विस्तार से।
खीरे की फसल में जैविक उर्वरक प्रबंधन
सबसे पहले खेत की जुताई करने से पहले प्रति एकड़ खेत में 5 से 10 टन 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद बिखेर कर मिट्टी में मिलाएं।
खीरे की फसल को रोग मुक्त और स्वस्थ रखने के लिए आप जैव उर्वरक के तौर पर गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, राख के साथ 10 किलोग्राम जी-सी पावर और 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस और 4 किलोग्राम जी-वैम और एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को आपस में मिला कर छिड़काव कर सकते हैं।
खेत तैयार करने के लिए 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट या राख में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस के साथ लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर भुरभुरी बना लें।
खीरे की फसल में 4 से 5 पत्तियां आ जाने पर 25 किलोग्राम यूरिया और 10 किलोग्राम जी-पावर को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें।
खीरे की बुआई के 30 से 35 दिनों बाद 25 किलोग्राम यूरिया और 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस के साथ 4 किलोग्राम जी-वैम को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय छिड़काव करें। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें।
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