रबी मौसम में कई किस्मों की मक्के की जैविक खेती की जा सकती हैं। कृषि जागृति के इस पोस्ट में हम मक्के की कुछ प्रमुख किस्में की उपज और फसल तैयार होने की अवधि को बता रहे हैं। तो किसान भाई अपने क्षेत्रों के अनुसार इनमे से किसी भी किस्म का चयन कर सकते हैं।
डी एच एम 7150: बिहार में खेती के लिए यह सर्वोत्तम किस्म हैं। इसकी खेती करने से उच्च गुणवक्ता, माध्यम आकार एवं पूर्ण रूप से भरे हुए भुट्टे प्राप्त होते हैं। इसके प्रति भुट्टे में 15 से 16 दानों की कतारें होती हैं। और प्रति कतार में लगभग 40 दाने होते हैं। इस किस्म की बुआई करते समय पौधों से पौधों की दूरी 1 फुट और सभी कतारो के बीच 2 फुट की दूरी रखे। इस किस्म के फसल तैयार होने में लगभग 155 से 165 दिनों का समय लगता है।
पी 3401 (पायनियर): यह एक हाइब्रिड किस्म हैं। इस किस्म के दानों का रंग नारंगी होता हैं। पौधों की जड़े मजबूत होती हैं। जिससे तेज हवा चलने पर पौधों के गिरने का खतरा कम होता हैं। इस किस्म की प्रति एकड़ खेत से 30 से 35 क्विंटल तक फसल की उपज होती हैं।
विजय (सिगनेट 22): यह किस्म बिहार में खेती के लिए उपयुक्त है। यह नवंबर के अंत से दिसंबर के शुरुआत में बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म हैं। इस किस्म के फसल को तैयार होने में लगभग 140 से 145 दिनों का समय लगता है।
एन के 6240 (सिंजेट): यह किस्म संकर किस्मों में शामिल है। इस किस्म की खेती रबी और खरीफ दोनों मौसम में कि जा सकती हैं। इस किस्म की प्रति एकड़ भूमि में जैविक खेती करने के लिए 3 से 5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं।
एन के 7720 (सिंजेट): यह किस्म रबी एवं खरीफ दोनों मौसम में खेती करने के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की बुआई के समय कतारों के बीच की दूरी 2 से 3 फुट की की दूरी रखे। और पौधों से पौधों की दूरी 5 से 7 इंच होनी चाहिए। इस किस्म में रोग कम लगते है और पौधों की लंबाई कम होने के कारण पौधों के गिरने की समस्या भी कम होती हैं।
इसके अलावा भारत में रबी मौसम में मक्के की कई अन्य किस्मों की खेती भी की जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए यहाँ दी गई किस्मों का चयन कर सकते हैं।
पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उतर प्रदेश में: बुलंद, सी पी 838, ड्रेगन, पी एम एच 1-3
बिहार, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में: डी एच एम 117, डी एम आर एच 1308, पी 3522 , डी के सी 9081
तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में: डी एच एम 111, डी एच एम 113, डी एच एम 117, पी 3522
झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में: प्राप्त मक्का 9, डी एच एम 117, डी एम आर एच 1308
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उम्मीद है कि कृषि जागृति के इस पोस्ट में बताई गई मक्के की किस्मों की खेती करके हमारे किसान भाई बेहतर फसल प्राप्त कर सकेंगे। यदि आपको यह जानकारी आवश्यक लगी हो तो इस जानकारी को अन्य किसान मित्रों के साथ साझा करें। मक्के की जैविक खेती से जुड़ी आपने सवाल हमसे WhatsApp के माध्यम से पूछ सकते हैं।