सरसों की फसल में इन दिनों लीफ माइनर रोग ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। लेकिन इस समस्या का जैविक समाधान और बचाव के उपाय जानकर हमारे सरसों के किसान भाई इससे निजात पा सकते हैं। कृषि जागृति के इस पोस्ट के माध्यम से हम बताएंगे कि यह बीमारी कैसे होती है, इसकी पहचान और बचाव कैसे कर सकते है।
क्या है सरसों की फसल का लीफ माइनर रोग
सरसों की फसल में लीफ माइनर नामक रोग जिसे सुरंग वाला किट कहा जाता है और यह सबसे ज्यादा सरसों के पत्ते पर अपना प्रकोप बढ़ाते हुए और फिर सरसों के दाने पर असर डालता है। यह कीट पत्तियों में सुरंग बनाकर ऊतकों को खाता है। जिससे सरसों की पत्तियों में सफेद लाइन बन जाती है और क्लोरोफिल नहीं बन पाता है जिसकी वजह से फसल का उत्पादन कम हो जाता है और सरसों के दाना कमजोर बनने के साथ ही तेल की मात्रा भी कम हो जाती है।
सरसों की फसल को लीफ माइनर रोग से बचाव करने के लिए अगर आपने कृषि जागृति के सुझाव के मुताबिक सरसों की बुवाई की है तो किसी प्रकार के रोग लगने के कम संभावना होती है अगर रोग लग भी जाती है तो आपको कृषि जागृति के सुझाव के अनुसार रोग के शुरुआती चरण में ही जैविक नियंत्रण करें। इसके लिए आपको 10 से 15 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर कर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए एक सप्ताह के बाद पुनः स्प्रे करें। ध्यान रहे प्रति एकड़ सरसों की फसल पर स्प्रे करने के लिए 75 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
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