बीज का अंकुरण, उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें बीज एक पौधे में बदलने लगता है। इसमें अंकुरण की क्रिया के समय एक छोटा पौधा बीज से निकलने लगता है। यह मुख्य रूप से तब होता है, जब बीज को आवश्यक पदार्थ और वातावरण मिल जाता है।
इसके लिए सही तापमान, जल और वायु की आवश्यकता होती है। रोशनी का हर बीज के लिए होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कुछ बीज बिना रोशनी के अंकुरित नहीं होते हैं। अंकुरण के लिए जीवरेलीन हार्मोन की आवश्यकता होती है।
सामान्यतः किसान घर में रक्खे बीज का ही उपयोग खेती के लिए करता है। प्रगतशील किसान हर साल कम से कम 20 से 25 प्रतिशत नये बीजों का उपयोग करते है, जबकि 75 से 80 प्रतिशत घर के बीजों का प्रयोग करते है।
कभी भी संकर बीजों से उत्पन्न दानों को बतौर बीज प्रयोग नही करना चाहिए। खेती-बाड़ी में बीज के अच्छे अंकुरण की बहुत आवश्यकता होती है, क्यों की यदि बीज का अच्छा अंकुरण नही हुवा तो उपज में भारी कमी आती है।
अतः सलाह दी जाती है की बुवाई के पूर्व हमें बीज के अंकुरण की सही जानकारी का होंना अति आवश्यक है। यदि हमें बुवाई से पूर्व पता चल जाय की हमारे बीज का अंकुरण प्रतिशत क्या है तो उसी के अनुसार बीज की मात्रा निर्धारित करते है।
इसलिए हर किसान को एक ऐसे बीज अंकुरण की विधि की जानकारी होनी चाहिए जो सरल एवं कम खर्चीली हो, पेपर विधि बीज अंकुरण का परीक्षण करने की एक ऐसी ही विधि है। बीज का अंकुरण बुवाई से एक सप्ताह पहले किया जाना चाहिए।
इससे यह तय करने में मदद मिलेगी कि बीज परिवर्तन की आवश्यकता है या बीज की मात्रा को बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि बीज 80% से 90% तक अंकुरित होते हैं, तो वे अच्छे बीज माने जाते हैं। यदि बीज का अंकुरण 60% से 70% तक है,
तो बुवाई के समय बीज की मात्रा को बढ़ाकर कमी की पूर्ति किया जा सकता है लेकिन यदि बीज का अंकुरण 50% से कम है तो इस तरह के बीज को बदल दें ताकि आपको फसल में नुकसान का सामना न करना पड़े।
पेपर से बीज अंकुरण परीक्षण की प्रक्रिया एक प्रभावी और सरल विधि है। इसमें आप चार परत में एक पेपर लेते हैं, फिर इसे 3 या 4 बार मोड़ते हैं, फिर बिना छंटाई किए, बीज को कागज पर पंक्तिबद्ध कर रख दें।
फिर पेपर के दोनों कोनों को धागे के साथ बंद दें। फिर पेपर को पानी में भिगो दें। अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दें। अतिरिक्त पानी को निकालने के बाद पेपर को एक पॉलीथीन बैग में रखें और इसे अंदर घर में लटका कर रखें।
4 से 5 दिनों के बाद अखबार खोलें, अंकुरों की संख्या की गणना करें, और बीज के अंकुरण का प्रतिशत जानें। इस विधि का उपयोग धान के लिए नहीं किया जा सकता है। पूर्व में ही बीज की सख्या को गिन कर गमले में बुवाई करे एवं 4 से 5 दिन के बाद अंकुर को गिन कर भी इसका प्रतिशत निकल सकते है, इसके माध्यम से भी बीज की मात्रा का निर्धारण किया जा सकता है।
PC : डॉ. एसके सिंह प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक(प्लांट पैथोलॉजी) एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर बिहार
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