कृषि में जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming) एक प्रकार की खेती पद्धति है जिसमें किसान जीवाश्म उत्पादन में कोई खर्च नहीं करता है, और उपयोगी कीटनाशक या कीटनाशक पदार्थों के उपयोग को समाप्त करता है। यह तकनीक पर्यावरण को सतत रखते हुए मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने और जैविक उत्पादों की उत्पादनता बढ़ाने का एक माध्यम है।
जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming) के पक्ष में यह दावा किया जाता है कि इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होती है, उपज की गुणवत्ता बढ़ती है, मिट्टी की पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है, जैविक उत्पादों की उत्पादनता बढ़ती है, और विकासशील कीटनाशकों के अनुप्रयोग से पर्यावरण को कम हानि पहुंचती है। इसके लिए जैविक खाद, जैविक उर्वरक और जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।
जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming) किसानों के लिए उपयुक्त हो सकती है, लेकिन इसके लाभ और प्रभाव क्षेत्रविशेष हो सकते हैं। इसके अनुसार, किसान जीरो बजट खेती के माध्यम से अपनी उपज की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं, कृषि उत्पादन में कम खर्च कर सकते हैं, पेशेवर जैविक उत्पादों की मांग में वृद्धि कर सकते हैं और पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले रसायनों के उपयोग को कम कर सकते हैं।
हालांकि, जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming) की सफलता किसान के क्षेत्र में निर्भर करेगी, जैसे मौसमी परिस्थितियाँ, मिट्टी की गुणवत्ता, संदर्भित फसलों का प्रकार, और रोग-बीमारियों की संभावना। किसानों को इस पद्धति के लाभों और नुकसानों को समझने, और अपनी विशेष स्थितियों के आधार पर यहां तक कि उनकी खेती के आसपास की पर्यावरणिक और सामाजिक संरचनाएं भी ध्यान में रखने की सलाह दी जाती है।
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