हां, भारत में खेती की भूमि का अंतर्निहित गतिशीलता धीरे-धीरे कम हो रही है, और यह एक चिंता का विषय है। कई कारणों से इस विषय पर चिंता बढ़ रही है। यहां कुछ मुख्य कारण हैं:
1. जनसंख्या वृद्धि: भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण भूमि की उपयोग क्षमता में कमी हो रही है। अधिकांश कृषि भूमि परिवारिक खेती के लिए उपयोग होती है, जिसमें छोटे खेत में ज्यादा मात्रा में फसलें उगाई जाती हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि वित्तीय और लोगिस्टिक आवश्यकताओं के चलते तुलनात्मक रूप से कम हो रही है।
2. असंतुलित भू-संपत्ति वितरण: देश में भू-संपत्ति का असंतुलित वितरण है, जिसके कारण कुछ क्षेत्रों में जमीन की उपयोग क्षमता अधिक होती है, जबकि कुछ क्षेत्रों में यह कम होती है। यह असमानता खेती को प्रभावित करती है और धीरे-धीरे जमीन की कमी का कारण बनती है।
3. अवैध जमीन व्यवस्था: अवैध जमीन का व्यवस्थापन भारत में एक बड़ी समस्या है। कई मामलों में, जमीन के अवैध उपयोग की वजह से खेती के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि की मात्रा कम हो रही है। यह विषय भूमि की उपयोग क्षमता को प्रभावित करता है।
4. नगरीकरण और औद्योगिकीकरण: शहरीकरण के साथ-साथ औद्योगिकीकरण के कारण भी भूमि का उपयोग खेती के लिए कम हो रहा है। उद्योगों, मोहल्लों, और सड़कों के विकास के लिए भूमि की आवश्यकता होती है और इससे खेती के लिए उपयुक्त भूमि की उपलब्धता पर असर पड़ता है।
5. आर्थिक मामले: खेती में अनुकरणीय वृद्धि के बावजूद, किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। इसके कारण किसानों को अपनी भूमि बेचने की आवश्यकता होती है और यह भी एक कारण है कि खेती की भूमि कम हो रही है।
यह सिर्फ कुछ कारण हैं और विभिन्न क्षेत्रों में भी अन्य कारण हो सकते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए, उचित भूमि व्यवस्थापन, समान्य कृषि और पर्यावरणीय मामलों पर ध्यान देना, स्थानीय किसानों को बेहतर खेती तकनीकों और संसाधनों की पहुंच प्रदान करना आदि महत्वपूर्ण है।
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