खेती सचमुच एक घाटे का काम नहीं है, वरन् यह एक महत्वपूर्ण और आवश्यक गतिविधि है जो हमारे समाज को खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास की सुनिश्चित करती है। कृषि और खेती के माध्यम से खाद्य उत्पादों का उत्पादन होता है,
जिससे हम खाने के लिए अनाज, फल, सब्जियां, दूध आदि प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, खेती बेरोजगारी को कम करने, राष्ट्रीय आय का स्रोत बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने में भी मदद करती है।किसान परिवारों में सम्पन्नता का स्रोत कई तत्वों से आता है। यह निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होता है:
1. उत्पादकता और प्रौद्योगिकी: विज्ञानिक और प्रौद्योगिकी की विकास से खेती में उत्पादकता में सुधार हुआ है। उन्नत खेती तकनीक और उन्नत बीज विकास की वजह से अधिक मात्रा में उत्पादन हो सकता है, जो किसानों को अधिक आय कमाने में मदद करता है।
2. बाजारी संरचना: एक संगठित और सुगठित बाजारी संरचना, जैसे कि सब्जी मंडियों और ग्रामीण हाटों की व्यवस्था, उत्पादों की खरीद और विपणन को सुगम बनाती है। ऐसे में किसान अपने उत्पादों को अधिक मूल्य में बेच सकते हैं और अच्छी मुनाफा कमा सकते हैं।
3. वित्तीय समर्थन: सरकारों द्वारा कृषि क्षेत्र में निवेश, कर्ज माफी, वित्तीय सब्सिडी, किसान ऋण योजनाएं और खेती संबंधित अन्य योजनाएं किसानों को समर्थन प्रदान करती हैं। ये सुविधाएं किसानों को उत्पादन को बढ़ाने और उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद करती हैं।
4. कृषि विद्यान और शोध: कृषि विज्ञान और शोध के माध्यम से बेहतर फसल उत्पादन के लिए नए तकनीकों, उन्नत खाद्य पदार्थों और बीजों के विकास होता है। ये तकनीकें उत्पादकता और मानव सेहत को सुधारती हैं जो किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में मदद करती हैं।
किसान परिवारों में सम्पन्नता उपरोक्त कारकों के संयोजन से प्राप्त होती है। इन कारकों के साथ उचित बाजारी महाथ से निकली खेती उत्पादों को उचित मूल्यों में बेचने, उत्पादकता में सुधार करने, वित्तीय सहायता से लाभ प्राप्त करने और नवीनतम खेती तकनीकों का उपयोग करने के साथ संभव होती है।
इसके अलावा, किसान परिवारों को सरकारी योजनाओं, किसान क्रेडिट योजनाओं, खेती संबंधित शिक्षा और प्रशिक्षण, सही बाजार संचालन, संगठनित किसान समूहों के माध्यम से बेहतर विकल्प और आवस्यक संसाधनों की पहुंच से भी लाभ मिलता है। यद्यपि किसानों के बीच आर्थिक समृद्धि के अभाव में भी बहुत सारे चुनौतियां हैं,
जैसे कि मौसम के परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, मध्यमवर्गीय पहुंच की कमी, बाजारी की अस्थिरता, औद्योगिकीकरण के प्रभाव, भूमि समस्याएं आदि। सम्पन्नता का स्रोत न केवल खेती में होता है, बल्कि इसके पीछे विभिन्न कारक होते हैं जैसे कि बाजारी संरचना, वित्तीय समर्थन, प्रौद्योगिकी, नवाचार और सरकारी नीतियां।
इन सभी कारकों का संयोजन किसानों को उचित मार्गदर्शन, समर्थन और संबल प्रदान करके उन्हें सम्पन्नता की ओर ले जा सकता है।
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