मुर्गी मांस एवं अंडे प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक पाले जाने वाले पोल्ट्री पक्षियों में से एक हैं। इन दिनों मुर्गी पालन व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा हैं। कुछ दशक पहले तक देशी नस्ल की मुर्गियां अधिक पाली जाती थी। लेकिन समय के साथ उच्च उत्पादकता के कारण अब ब्रायलर और लेयर मुर्गियों का पालन अधिक प्रचलित हो रहा हैं।
भारत में पोल्ट्री उद्योग का देश की कृषि अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान है। बाजार में मुर्गियों के साथ अंडों की मांग भी बढ़ रही हैं। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं तो आइए जानते है कृषि जागृति के इस पोस्ट में मुर्गी पालन में लगने वाली लागत एवं होने वाले मुनाफे के साथ मुर्गी पालन व्यवसाय की शुरुआत के लिए मिलने वाली सब्सिडी एवं ऋण के के बारे में विस्तार से।
पोल्ट्री फॉर्म शुरू करने से पहले कई महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखना अति आवश्यक हैं। इसमें से कुछ निम्न प्रकार हैं।
विनियम: अपने क्षेत्र में मुर्गी पालन से संबंधित नियमों की जानकारी होना जरूरी हैं। इसके लिए आवश्यक परमिट और लाइसेंस प्राप्त करें। इसके साथ ही स्वास्थ्य ओर सुरक्षा नियमों का पालन करना भी जरूरी हैं।
बाजार की मांग: अपने क्षेत्र में पोल्ट्री उत्पादों की बाजार मांग पर गहन शोध करें। इसके लिए आपको उत्पादों की मात्रा एवं मूल्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
स्थान: मुर्गियों के लिए ऐसे स्थान का चयन करें जहां स्वच्छ पानी, बिजली, ओर परिवहन की सुविधा है। इसके साथ ही ये स्थान प्रदूषण और पर्यावरणीय खतरों से भी मुक्त होना चाहिए।
विशेषज्ञता: मुर्गी पालन के लिए विशेष ज्ञान और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती हैं। इस व्यवसाय की शुरुआत करने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श करें। एक सफल पोल्ट्री फॉर्म चलाने के लिए आवश्यक जानकारियां प्राप्त करें।
जोखिम प्रबंधन: पोल्ट्री फार्मिंग के व्यवसाय में रोगों का प्रकोप, प्राकृतिक आपदा ओर बाजार में उतार चढ़ाव जैसे जोखिम शामिल हैं। इन जोखिम को कम करने के लिए ओर अपने विशेष सुरक्षा के लिए एक जोखिम प्रबंधन योजक बनाए।
उपयुक्त स्थान का चयन: मुर्गियों के रहने का स्थान अच्छी तरह से सुखा ओर आवासीय क्षेत्रों से दूर होना चाहिए। इसके पास परिवहन के सुविधा भी होनी चाहिए।
आवास का प्रकार: विभिन्न प्रकार के पोल्ट्री आवास होते हैं। जिनमे डिप लीटर, केज यानी पिंजरा और फ्री रेंज शामिल हैं। आप अपनी आवश्यकताओ एवं बजट के अनुसार इसमें से किसी भी प्रकार के आवास का निर्माण कर सकते हैं।
उचित व्यवस्था: आवास में मुर्गियों के रहने घूमने ओर अंडे देने के लिए प्रयाप्त स्थान होना चाहिए। इसमें हवा के आवागमन और प्रकाश की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। मौसम की मार से मुर्गियों को बचाने का भी उचित प्रबंध करें।
मजबूती का ध्यान: मुर्गियों के आवास को बांस, लकड़ी या धातु से बना सकते हैं। आवास के निर्माण के समय सुनिश्चित करें कि शिकारियों से पक्षियों की रक्षा के लिए आवास मजबूत और सुरक्षित हो।
उपकरणों की व्यवस्था: आवास के अंदर फीडर, पानी देने का साधन, प्रकाश और वातावरण को बनाए रखने के लिए आवश्यक उपकरणों का प्रबंधन करे। इसके साथ ही अंडों एवं फीड को रखने के लिए अलग क्षेत्र या बक्से आदि की भी व्यवस्था करें।
स्वच्छता बनाए रखें: मुर्गियों को रोगों से बचाने के लिए या रोगों के प्रसार को रोकने के लिए आवास को नियमित रूप से साफ करें।
मुर्गियों के शारीरिक विकाश एवं अंडों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें संतुलित और पोष्टिक आहार प्रदान करना बहुत जरूरी हैं। मुर्गियों को दिया जाने वाले आहार में उनकी प्रजाति के आधार पर भिन्नता हो सकती हैं। ब्रायलर मुर्गियों के तेजी से विकाश और वजन बढ़ाने के लिए आमतौर पर उच्च प्रोटीन युक्त आहार खिलाया जाता हैं।
लेयर पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों को केल्शियम से भरपूर आहार दिया जाता हैं। इससे अंडों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलती हैं। भारत में मुर्गियों के आहार में अनाज, प्रोटीन स्रोत और पूरक आहार का संयोजन होता हैं।
अपने क्षेत्र के अनुसार अच्छी विकास दर एवं अधिक अंडे देने वाली मुर्गियों का पालन करें। मुर्गियों को संतुलित आहार खिलाए। इससे उनके शारीरिक विकाश और उत्पादन क्षमता के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता हैं।
मुर्गियों को रोगों से बचाने के लिए स्वछता को ध्यान रखें। किसी भी रोगों से संक्रमित मुर्गियों के रहने खाने पीने की अलग व्यवस्था तुरंत करें।मुर्गियों एवं चूजों को हर दिन स्वच्छ एवं ताजा पानी दे। चूजों के रहने की अलग व्यवस्था करें। ठंडी या गर्म हवाओं से बचाने के लिए शेड को अच्छी तरह से ढके।
शुरुआत में मुर्गियों के लिए स्थान, आवास, पिंजड़े, मुर्गियां, दाने आदि की खरीदारी में लगभग 5 लाख रुपए की लागत आती हैं। 15 हजार मुर्गियों का पालन करने के लिए 10 प्रतिशत से ज्यादा चूजों की आवश्यकता होती हैं।
एक लेयर पेरेंट बर्थ लागत लगभग 30 से 35 रुपए होती हैं। यानी मुर्गियों की खरीदारी पर 50 हजार रुपए की लागत आती हैं। एक लेयर पेरेंट बर्थ लगभग 300 अंडे देती हैं।जिससे हर महीने 50 हजार से 1 लाख रुपए तक की कमाई होती हैं।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी राशि 25 लाख रुपए सीधे लाभार्थी को प्रदान किए जाते है।
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