अक्टूबर से नवंबर महीने से देश की विभिन्न क्षेत्रों में ठंड की शुरुआत हो जाती हैं। बदलते मौसम के साथ पशुओं के बीमार होने की संभावना भी काफी बढ़ जाती हैं। ठंड के मौसम में पशुपालकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती हैं।
इस समय पशुओं की खास देखभाल नहीं करने पर उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर तो होता ही है, इसके साथ ही पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता मैं भी कमी आ जाती हैं। तो आईए जानते कृषि जागृति के इस पोस्ट में ठंड के मौसम में पशुओं की देखभाल के विषय में क्या है पशु पलको की खास राय।
ठंड लगने पर पशुओं के नाक एवं आंखों से पानी आने लगता हैं, भूख मैं कमी आती हैं और शरीर के रोए खड़े हो जाते हैं।
पशुओं को ठंड से बचाने के लिए जुट के बोरे पहनाए। इस मौसम में पशुओं को संतुलित आहार दे। पशुओं के आहार में हरा चारा एवं मुख्य चारा को 1:3 के अनुपात में मिला कर खिलाए।
पशुओं को ठंडा चारा नहीं देना चाहिए। पशुओं को गुनगुना पानी पिलाए। पशुओं को खुले स्थान में न रखें। पशु आवास की खिड़कियों पर बोरे लगाएं। इससे पशुओं का ठंड हवाओं से बचाव होता हैं।
इस बात को सुनिश्चित करें कि पशु आवास में सीलन की समस्या न हो। पशु आवास की फर्श पर पुवाल बिछाए। वातावरण में नमी होने के कारण पशुओं में खुरपका, मुहापका तथा गलाघोटू रोग होने की समस्या बढ़ जाती हैं।
पशुओं को इस रोगों से बचाने के लिए सही समय पर टीकाकरण कराए। ठंड के मौसम में अक्सर पशुओं में दस्त की शिकायत होती हैं। पशुओं को दस्त होने पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह ले।
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